संस्थाएं – व्यंग्यम (व्यंग्य विधा पर आधारित व्यंग्य पत्रिका/संस्था), जबलपुर

 

विगत दिवस साहित्यिक संस्था व्यंग्यम द्वारा आयोजित 23वीं व्यंग्य पाठ गोष्ठी में सभी ने परम्परानुसार अपनी नई रचनाओं का पाठ किया.  इस संस्था की प्रारम्भ से ही यह परिपाटी रही है कि प्रत्येक गोष्ठी में व्यंग्यकर सदस्य को अपनी नवीनतम व्यंग्य रचना का पाठ करना पड़ता है । इसी संदर्भ में इस व्यंग्य पाठ गोष्ठी में सर्वप्रथम जय प्रकाश पांडे जी ने ‘सांप कौन मारेगा,  यशवर्धन पाठक ने  ‘दादाजी के स्मृति चिन्ह’, बसंत कुमार शर्मा जी ने ‘अंधे हो क्या’, राकेश सोहम जी ने ‘खा खाकर सोने की अदा’, अनामिका तिवारीजी ने ‘हम आह भी भरते हैं’,  रमाकांत ताम्रकार जी ने ‘मनभावन राजनीति बनाम बिजनेस’, ओ पी सैनी ने ‘प्रजातंत्र का स्वरूप’, विवेक रंजन श्रीवास्तव ने ‘अविश्वासं फलमं दायकमं’, अभिमन्यु जैन जी ने ‘आशीर्वाद’, सुरेश विचित्रजी ने ‘शहर का कुत्ता’, रमेश सैनी जी ने ‘जीडीपी और दद्दू’, डा. कुंदनसिंह परिहार जी ने ‘साहित्यिक लेखक की पीड़ा’ व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया.

इस अवसर पर बिलासपुर से पधारे व्यंग्यम पत्रिका के संस्थापक संपादक व्यंंग्यकार महेश शुक्ल जी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही. श्री महेश शुक्ल ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में व्यंग्यम पत्रिका के बारे में बताया – उस वक्त पत्रिका प्रकाशन का निर्णय कठिन था और हम सब रमेश चंद्र निशिकर, श्रीराम आयंगर, श्रीराम ठाकुर दादा , डा.कुंदन सिंह परिहार, रमेश सैनी आदि मित्रों के सहयोग से यह पत्रिका व्यंंग्यकारो में कम समय ही चर्चित हो गई थी. उस समय महेश शुक्ल ने अपने से संबंधित परसाई जी के संस्मरण सुनाए. इस अवसर पर बुंदेली के लेखक द्वारका गुप्त गुप्तेश्वर की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। गोष्ठी का संचालन रमेश सैनी और आभार प्रदर्शन व्यंंग्यकार एन एल पटेल ने किया.

  • साभार श्री जय प्रकाश पाण्डेय, जबलपुर 

 

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Narendra Shrivastav

सुखद।बधाई।अभिनंदन।