सूचना/Information
(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
मंथन इंटरनेशनल जबलपुर – सर्वश्रेष्ठ दोहाकार प्रतियोगिता (24 अगस्त 2021) – परिणाम एवं पुरस्कृत रचनाएँ
प्रथम स्थान : श्री विजय बागरी ‘विजय’
द्वितीय स्थान : सुश्री पुष्पा प्रांजलि
तृतीय स्थान : श्री मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’
सांत्वना : (चतुर्थ एवं पंचम स्थान) – १) श्री सुभाष शलभ २) श्री निशि श्रीवास्तव
निर्णायक – ख्यातिलब्ध वरिष्ठ कवि डा.श्यामसनेहीलाल शर्मा, फिरोजाबाद (उ.प्र.)
पुरस्कृत रचनाएँ
प्रथम स्थान : श्री विजय बागरी ‘विजय’
कानन कजरी गा रहे,उपवन मेघ-मल्हार।
सावन-झूला झूलती, पावस की बौछार।।
मन का केवट जोहता, रघुनंदन की बाट।
नौका निष्ठा की ‘विजय’,सुरसरि लोचन-घाट।।
सावन की सखियाँ चलीं,पनघट की चौपाल।
नेह-निमंत्रण दे रही, घनवल्ली वाचाल।।
रक्षाबंधन प्रेम के, धागों का त्यौहार।
स्वसा-भ्रातृ-संबंध की,शुचिता का आधार।।
‘विजय’ विलोचन-द्वार का,काजल पहरेदार।
सदा अपावन दृष्टि का, करता जो परिहार।।
—- विजय बागरी ‘विजय’
द्वितीय स्थान : सुश्री पुष्पा प्रांजलि
नदियाँ कजरी गा रहीं, निर्झर राग मल्हार।
पुलकित पोखर-ताल हैं, पावस का त्यौहार।।
ध्रुवनंदा मंदाकिनी, देवनदी शुभ धार।
सुरसरि मोक्ष प्रदायिनी, कर दो बेड़ा पार।।
सावन की शुभकर घड़ी, ले आई उपहार।
धानी चूनर ओढ़कर, अवनि करे शृंगार।।
शुभ सावन की पूर्णिमा, रक्षाबंधन पर्व।
सजे कलाई राखियाँ, भ्रात-बहिन का गर्व।।
काजल भरकर नैन में, श्यामल-श्यामल मेह।
बरस रहे हैं रात-दिन, लगा अवनि से नेह।।
— पुष्पा प्रांजलि
तृतीय स्थान : श्री मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’
सावन में कजरी हुई, चला मेघ मल्हार।
वर्षा में तन भींजता,कर प्रियतम श्रृंगार।।
मुक्ति-पाप संकट हरे, मानव का कल्यान।।
बहती है सुरसरि नदी, शिव का है वरदान।
सावन-भादों आ गई , मेघों की बारात।
हरियाली घोड़े चढ़ी, पावस की सौगात।।
रक्षाबंधन आ गया, बहिना करे दुलार।
बचपन की अठखेलियाँ, रचे नेह संसार ।।
आँखों में काजल लगा, लेती चितवन मोह।
घायल दिल को कर रही,दारुण दुखद विछोह।।
— मनोज कुमार शुक्ल ” मनोज “
ई-अभिव्यक्ति की ओर से आप सब का हार्दिक अभिनंदन एवं बधाई
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈