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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
मॉडर्न महाविद्यालय, पुणे में हिंदी पखवाड़ा समापन समारोह संपन्न
हिंदी विभाग, मॉडर्न महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर, पुणे 05 के द्वारा दिनांक 28 सितंबर 2021 को हिंदी पखवाड़ा समापन समारोह का ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से आयोजन किया गया था l इस कार्यक्रम के अवसर पर हिंदी लेखक-कवि, हिंदी सेवी डॉ. विजयप्रकाश ओमप्रकाश शर्मा जी उपस्थित थे । हिंदी पखवाड़ा समापन के अवसर पर “हिंदी साहित्य की सामाजिक उपादेयता” विषय पर डॉ. विजयप्रकाश शर्मा जी ने अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए मानवकल्याण का मार्ग बतानेवाले, विभिन्न समय पर लिखे गए हिंदी साहित्य के संदर्भ में विश्लेषण किया। उन्होंने यह कहा कि कबीर, तुलसीदास, मीराबाई के पद तथा संपूर्ण भक्तिकाल का साहित्य, रीतिकालीन हिंदी साहित्य ने भौतिकता की अपेक्षा आत्मिक सुख को महत्वपूर्ण माना और समाज को अंतर्मुखी बनाने का प्रयास किया है । हिंदी साहित्य में हमेशा लोककल्याण की भावना को जगाए रखने में अपना योगदान दिया है और वह भावना विरासत के रूप में अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का महत्कार्य किया है । आत्मा की संपूर्णता पर हमारे हिंदी साहित्य ने बल दिया और इसी आधार पर सामाजिक रचना निर्माण हुई । हिंदी साहित्य ने हमारे जीवन को हारमनी प्रदान की है । हिंदी साहित्य के विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से डॉ. विजयप्रकाश शर्मा जी ने साहित्य की उपादेयता पर प्रकाश डाला और प्रासंगिक तौर पर हिंदी रचनाकार रामधारीसिंह दिनकर जी द्वारा लिखित ‘रश्मिरथी’ के कुछ अंश का अभिवाचन किया ।
प्रस्तुत कार्यक्रम में मॉडर्न महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेंद्र झुंजारराव, कला शाखा की उपप्राचार्या डॉ. अमृता ओक, हिंदी के अन्य प्राध्यापक उपस्थित थे । प्राचार्य डॉ. राजेंद्र झुंजारराव जी ने हन्दी विभाग द्वारा निरंतर आयोजित की जानेवाली विभिन्न गतिविधियों की प्रशंसा की और सफल कार्यक्रम के आयोजन हेतु हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. प्रेरणा उबाले और हिंदी विभाग को बधाई दी । संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. प्रेरणा उबाले जी ने किया और सूत्रसंचालन प्रा. असीर मुलाणी ने किया । ऑनलाइन प्रणाली से आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे।
साभार – डॉ. प्रेरणा उबाले, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न महाविद्यालय, पुणे 05 Mob. 7028525378, [email protected])
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈