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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

गुरुत्वाकर्षण ही गुरु की पहचान ☆ साभार – प्रो.शरद नारायण खरे ☆

मंडला- शासकीय ज.मु.चौधरी महिला महाविद्यालय में गुरु-वंदना उत्सव उत्साह,उल्लास व श्रद्धा के साथ प्राचार्य प्रो.शरद नारायण खरे के मार्गदर्शन व डॉ अंजली पंड्या के संयोजन-संचालन में मनाया गया। विशेष आमंत्रित स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज,महंतसूर्य मंदिर,नावघाट की दिव्य उपस्थिति नें मनाया गया।रोटरी क्लब की पदाधिकारी गीता काल्पीवार  विशेष आमंत्रित रहीं।

सरस्वती पूजन,स्वागत गीत के बाद डीके रोहितास ने गुरु की महत्ता को सांस्कृतिक मूल्यों के साथ चित्रित किया।डॉ अंजली पंड्या ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।डॉ प्रदीप सोनी ने जीवन-निर्माण में गुरुओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।

विस्तृत व्याख्यान देते हुए प्राचार्य प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे ने वैदिक आख्यानों के माध्यम से कहा कि गुरु वह है जो गुरुत्वाकर्षण से परिपूर्ण होता है,तथा जो शिष्य को अँधेरे से प्रकाश की ओर ले जाता है।उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को सुरक्षित रखकर शिष्यों को आध्यात्मिक ज्ञान देकर उनके जीवन को तेजत्व प्रदान करने में संत, महात्माओं, आचार्यों व गुरुओं की भूमिका को दृष्टांतों सहित व्याख्यायित किया।उन्होंने सिकंदर के गुरु अरस्तु, चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य व शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास के संदर्भ भी प्रस्तुत किए। गुरु-वंदना में गीत गाये गए।इस अवसर पर छात्राओं ने उत्साहपूर्वक अपने गुरु  इतिहास के प्राध्यापक व महाविद्यालय के वर्तमान‌ प्राचार्य प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे का भी स्वागत -सम्मान किया।

पधारी हुईं विभूतियों को बुके,अंगवस्त्रम् व श्रीफल से सम्मानित किया गया।आचार्य व महंत स्वामी सच्चिदानंद महाराज जी ने आत्मा की पवित्रता, सदाचरण व सत्कर्मों की बात कहकर गुरुओं की गरिमा को परिभाषित किया तथा मोक्ष तक ले जाने में गुरु की श्रेष्ठता को प्रभावशाली शैली में वर्णित किया। समाजसेवी गीता काल्पीवार ने गुरु पूर्णिमा की पवित्रता को आत्मसात करने का संदेश दिया ।

डॉ अंजुसिंह ने आभार प्रदर्शन किया।डॉ एसपी धूमकेती,मंजु श्रीवास,सावित्री उरैती,राशि तिवारी, अनिल वाजपेयी,जयप्रकाश वाजपेयी,शैलेंद्र तिवारी, रामेश्वर यादव सहित छात्राओं की व्यापक उपस्थिति रही।अत्यंत उल्लासपूर्वक गुरु पूर्णिमा समारोह मनाया गया।

साभार – प्रो.शरद नारायण खरे

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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