☆ सूचनाएँ/Information ☆
(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
डॉ. मीना श्रीवास्तव
☆ डॉ. मीना श्रीवास्तव द्वारा प्रो हेमंत सामंत के मूल लेखों से अनुवादित दो हिंदी पुस्तकें ज्येष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ. जी. जी. परिख के हाथों लोकार्पित ☆
१७ नवंबर २०२४ को महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय के स्मृति दिवस के दिन प्रो. हेमंत सामंत द्वारा अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों और उनके कार्यक्षेत्र से संबंधित मराठी लेखों पर आधारित डॉ मीना श्रीवास्तव द्वारा अनूदित “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनदेखे समरांगण” और “भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अनकही कहानियां” इन दो हिंदी अनुवादित पुस्तकों का विमोचन हुआ। प्रत्येक पुस्तकों में ३८ अध्याय हैं, जो न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी क्रांतिकारियों द्वारा किये हुए स्वतंत्रता संघर्ष को दर्शाते हैं।
लेखक और अनुवादक के लिए यह बड़े ही गर्व की बात थी कि उम्र का शतक पार कर चुके बुजुर्ग स्वतंत्रता सेनानी डॉ. जी. पारिख ने मुंबई के ग्रांट रोड स्थित अपने आवास पर इन दोनों पुस्तकों का विमोचन किया। उनके प्राकृतिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, केवल कुछ व्यक्ति ही इस कार्यक्रम में शामिल हो पाए। हिंदी में अनुवादित पुस्तकों की लेखिका डॉ. मीना श्रीवास्तव, मूल लेखक प्रो. हेमंत सामंत एवं लुपिन कंपनी के मॅन्युफॅक्चरिंग ऑपरेशन्स के अध्यक्ष श्री राजेंद्र चुनोडकर विमोचन के कार्यक्रम में उपस्थित थे। साथ ही लेखक द्वय के परिवारजन भी इस अवसर पर उपस्थित थे| उल्लेखनीय बात यह है कि इन दोनों पुस्तकों की प्रस्तावना ई-अभिव्यक्ति – www.e-abhivyakti.com के संपादक श्री हेमन्त बावनकर ने लिखी है|
इस अवसर पर संक्षिप्त मार्गदर्शन व्यक्त करते हुए श्री पारिख ने बिगड़ते पर्यावरण और जल के अपव्यय पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने अहम संदेश देते हुए कहा कि “समाज की सेवा के लिए सत्ता की जरूरत नहीं है, बल्कि देशभक्ति की भावना को प्रदीप्त करने की जरूरत है।” कुल मिलाकर, पुस्तक विमोचन का यह कार्यक्रम अनूठा रहा।
ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ. मीना श्रीवास्तव जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈