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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ भावनाओं के आकाश में बाल विदुषी – ‘आराध्या तिवारी’ ☆ प्रस्तुती – श्री हेमन्त बावनकर ☆

यदि उच्च संस्कृति और संस्कार का सानिध्य भी जुड़ जाए तो निश्चित ही नई प्रतिभा रोशनी बनकर संभावनाओं के आकाश में झिलमिलाने लगती है। आज हम ऐसी ही अद्भुत प्रतिभा की धनी बाल विदुषी यानि आराध्या तिवारी की बात कर रहे हैं। स्मॉल वंडर सीनियर सेकेंडरी स्कूल की एक सचमुच की स्मॉल वंडर कक्षा पांचवी की छात्रा आराध्या तिवारी ने बेहद कम उम्र में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं और यह सिलसिला अभी भी बदस्तूर जारी है। बाल भवन, मध्यप्रदेश सरकार, जबलपुर के माध्यम से संगीत का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। जिसके संचालक श्री गिरीश बिल्लौरे जी हैं। भातखंडे संगीत महाविद्यालय में नृत्य का भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। स्वयं के चैनल “प्रियम प्रियम और सिर्फ प्रियम” का संचालन तो करती ही हैं साथ में जबलपुर के विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों में कविता पाठ करती आई हैं। फिजिकल एक्टिविटी के प्रति भी आराध्या का बड़ा रुझान है। वे नित्य योग, स्केटिंग का अभ्यास करती हैं। खेलों में निरंतर सक्रिय रहते हुए आराध्या ने राइफल शूटिंग, सिललिंग शॉट एवं कराटे की विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक एवम अनेक प्रमाण पत्र नन्ही सी उम्र में प्राप्त किए हैं। बात कविता, कहानी, या गीत लेखन में रुचि की हो तो ये संस्कार उनको अपने दादा तथा ख्यातिलब्ध वरिष्ठ कवि, गीतकार, साहित्यकार, लेखक, पत्रकार एवं मेरे गुरु डॉ. श्री राजकुमार तिवारी सुमित्र जी से विरासत में मिले हैं। डॉ. सुमित्र जी की परंपरा को निभाते हुए आराध्या कविता, गीत कहानी लेखन में भी धीरे-धीरे पारंगत हो रही हैं।

एक साक्षात्कार पोती के प्रश्न और दादा के उत्तर

संस्कारधानी जबलपुर मध्यप्रदेश की बाल पत्रकार आराध्या तिवारी प्रियम ने अपने दादा प्रख्यात साहित्यकार डॉ राजकुमार तिवारी सुमित्र से लिया साक्षात्कार आइए देखें आराध्या के प्रश्न और दादा के उत्तर क्या स्वप्न उन्होंने बचपन में देखा था क्या वे वैसा बन पाए डॉक्टर सुमित्र ने… बाल पत्रकार आराध्या के प्रश्नों के उत्तर दिये एक अनोखा और अद्भुत इंटरव्यू

प्रतिभाशाली आराध्या तिवारी प्रियम की कुछ विशेष उपलब्धियाँ –

  • रिकॉर्ड होल्डर्स रिपब्लिक इंडिया (RHR) द्वारा सर्टिफिकेट ऑफ एक्ससिलैंस से सम्मानित।
  • देश के पहले साहित्यक चैनल डायनामिक संवाद टी वी में 2018 से निरंतर एंकरिंग कर सराहना व सुर्खियां बटोर रही हैं।
  • कोरोना काल में कोरोना सहायतार्थ निगम प्रशासन को अपनी गुल्लक से 5000 रुपए प्रदान किये।
  • विवेचना रंग मंडल के थिएटर वर्कशॉप में सहभागिता निभाई और प्रख्यात नृत्य निर्देशिका डॉ. उपासना उपाध्याय की लघु फिल्म जो कि सुप्रसिद्ध कवयित्री स्व. सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविता पर निर्देशित लघु फ़िल्म में सराहनीय अभिनय किया।

  • आपका यूट्यूब पर अपना चैनल है “प्रियम प्रियम और सिर्फ प्रियम” जिसकी दर्शक संख्या लगातार बढ़ रही है। 
  • जबलपुर नगर निगम के स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में सबसे कम उम्र की ब्रांड एंबेसडर चुना गया है।

  • बहुत छोटी सी उम्र से ही कराटे, योग शिक्षा, स्केटिंग राइफल, शूटिंग, सीलिंग शॉट में अपना हुनर बखूबी दिखाया है और बहुत सारे मेडल और शील्ड अपने नन्हे हाथों से हासिल किए हैं।
  • बाल भवन जबलपुर से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा डॉ. शिप्रा सुल्लेरे से प्राप्त कर रही हैं।
  • इंटरनेशनल बुक ऑफ़ रिकार्ड्स प्रमाण पत्र से सम्मानित।
  • बाल पत्रकार के रूप में आपको जिला प्रशासन द्वारा भी प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।
  • साहित्यिक संस्था वर्तिका द्वारा भी आपको श्रेष्ठ एंकरिंग के लिए भी सम्मानित किया गया है।
  • जबलपुर के लोकप्रिय सांसद राकेश सिंह जी का साक्षात्कार लिया है, जो सोशल मीडिया पर बहुत चर्चित रहा है। इसके साथ ही अनेक राजनीतिक एवं साहित्यिक व्यक्तित्व का साक्षात्कार भी लिया है। https://www.facebook.com/share/v/QSRLGDz7zeSCd9xm/

आराध्या अपनी समस्त उपलब्धियों का श्रेय अपने स्व. दादा जी दादी जी, माता पिता, स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाओं, स्कूल प्रबंधन को देती हैं। आराध्या का मानना है कि घर के बाद मेरी पहली पाठशाला स्कूल है जहां से मैं अपने गुरुजनों से निरंतर सीख रही हूं। जहां मुझे जीवन में कुछ बड़ा करने का संकल्प भी प्राप्त हुआ है और निरंतर शक्ति भी।

वर्तमान में आराध्या तिवारी संस्कारधानी के छोटे-छोटे बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। आराध्या तिवारी का स्वप्न है कि वह भी बड़े होकर अपने दादा की तरह एक कामयाब लेखक और पत्रकार बने।  संस्कारधानी जबलपुर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ज्ञान-मनीषी ओशो से लेकर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई और बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान की कर्मभूमि हमेशा से प्रेरणा का स्रोत रही है। जबलपुर शहर की हवा में संस्कार गुंजित होते रहते हैं। इन्ही संस्कारों की नन्ही कोंपल अब आराध्या तिवारी के रूप में सुरभित हो रही है। और शहर की साहित्यिक परंपरा को ध्वजा  को आगे बढ़ा रही हैं। 

ई-अभिव्यक्ति परिवार के सदस्य आराध्या के उज्ज्वल भविष्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।

प्रस्तुती – श्री हेमन्त बावनकर, सम्पादक ई-अभिव्यक्ति, पुणे

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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