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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान एवं रियाज़ संस्था की ओर से महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार सम्मानित
विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान एवं रियाज़ संस्था की ओर से महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी की ओर से पुरस्कृत साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।
उस अवसर पर हिन्दी मराठी एवं बांग्ला उपन्यासों पर विशद चर्चा संपन्न हुई। हिन्दी उपन्यासों की श्रृंखला में प्रासंगिक रूप से गीतांजलि श्री के उपन्यास “रेत समाधि” पर डाॅ वीणा दाढ़े ने महीन विश्लेषण श्रोताओं के समक्ष रखा। डाॅ भट्टाचार्य ने बांग्ला उपन्यासों की भूमिका स्पष्ट की।
सुप्रिया अय्यर के उपन्यास पर एक अति उत्कृष्ट नाटिका पेश की गयी।पुरस्कृत साहित्यकारों की ओर से दो शब्द कहते हुये इन्दिरा किसलय ने भाषायी सौहार्द्र की दृष्टि से अनुवाद की महत्ता रेखांकित की। इतिहास में चलें तो शाहजहां के बेटे दाराशिकोह ने काशी से पंडित बुलाकर उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करवाया था और स्वयं गीता का अनुवाद फारसी में किया था।
अगर जर्मन विद्वान गेटे न होते तो कालिदासकृत अभिज्ञानशाकुन्तलम् के सौंदर्य से विश्व वंचित रह जाता। रूसी विद्वान वारान्निकोव न होते तो रूस में रामचरितमानस और प्रेमचंद की कृतियों की महत्ता प्रकाश में आने से रह जाती।
भारत में 10 करोड़ मराठीभाषी हैं।12 वीं शती से अपना इतिहास दर्ज करनेवाली मराठी एक सक्षम भाषा है। इसकी लिपि देवनागरी है।
हिन्दी एवं मराठीभाषी रचनाकारों के मध्य सेतु निर्माण का सारा श्रेय रियाज़ के अध्यक्ष श्री दिलीप म्हैसाळकरजी को जाता है।
साभार – सुश्री इंदिरा किसलय
नागपुर, महाराष्ट्र
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈