सुश्री इन्दिरा किसलय

☆ कविता – “नादान मछलियां” ☆ सुश्री इन्दिरा किसलय ☆

🐟

केवल तुम से  तुम तक  है

समझो बात   सुरक्षित है।

🐠

चंदनवन की राह विकट है

सांपों से  अभिरक्षित   है।

🐟

खुद से खुद तक नहीं पहुंचा

वो दुनिया भर में चर्चित है।

🐠

जीते जी   पुतले  बनवाए

कैसे  कहें वो मूर्छित है  ।

🐟

लुटे पिटे बेबस  हैं  लाखों

पत्थर को प्यार समर्पित है।

🐠

 नादान मछलियां देख रहे हैं

 बगुले कितने      हर्षित हैं ।

🐟

 बहुरूपिए का कसूर क्या?

 वो आका से आकर्षित है।

💧🐣💧

©  सुश्री इंदिरा किसलय 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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