डॉ अमिताभ शंकर राय चौधरी
(डॉ अमिताभ शंकर राय चौधरी जी एक संवेदनशील एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार के अतिरिक्त वरिष्ठ चिकित्सक के रूप में समाज को अपनी सेवाओं दे रहे हैं। अब तक आपकी चार पुस्तकें (दो हिंदी तथा एक अंग्रेजी और एक बांग्ला भाषा में ) प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी रचनाओं का अंग्रेजी, उड़िया, मराठी और गुजराती भाषाओं में अनुवाद हो चुकाहै। आप ‘कथाबिंब ‘ द्वारा ‘कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार (2013, 2017 और 2019) से पुरस्कृत हैं एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा द्वारा “हिंदी सेवी सम्मान “ से सम्मानित हैं।)
☆ कविता 🤦♀️बड़ी ठंड है ! ❤ डॉ अमिताभ शंकर राय चौधरी ☆
किसकी हिम्मत कहे कि मुझको
लगता भीषण जाड़ा।
सुन सुन कर सरदी में मेरी
चढ़ता जाता पारा।
सुबह हुई है, और हाथ में
गरम चाय की प्याली।
बक बक करते थमा गई वो
बुढ़िया ‘मेरी वाली’।
पी रहा हूँ ओढ़ के कम्बल
लिहाफ ही मिल जाता।
कौन हाथ से किसे सँभालूँ
इसे कौन समझाता ?
मफलर एक बँधा कानो पर
पवन नहीं घुस पाये,
जब खेत को चुग गई चिड़िया
मनवा क्यों पछताये ?
छीं छीं कहीं शुरू हो जाए
छींक, नाक से पानी,
कहीं उठा पटके बुड्ढे को
करे क्यों पहलवानी ?
परसों रात हवा थी सन सन
मैं तो कोट पहन कर
काँप काँप कर पहुँच गया था
जब लिहाफ के अन्दर,
आग बबूला होकर बुढ़िया
लगी सुनाने ताने,
‘ऐसे कौन बेड पर आता?
लगे बहुत सठियाने ?
गरम रजाई के अन्दर भी
कोट पहन कर सोना ?’
करके गुस्सा हाय मुझे फिर
आता है जी रोना।’
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© डॉ. अमिताभ शंकर राय चौधरी
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