श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “घी और केबीसी”।)
जो केबीसी से करे प्यार, वो घी से कैसे करे इंकार ! ३.२० की राशि कम नहीं होती, सबसे पहले तो केबीसी में प्रवेश ही इतना आसान नहीं, प्रश्न तो खैर आसान ही पूछे जाते हैं, लेकिन पुरुषार्थ के पहले भाग्य की भी परीक्षा तो होती ही है।
कुछ लोग अक्सर आयएएस और आईपीएस की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते करते, टहलते हुए केबीसी में पहुंच जाते हैं, फटाफट ऐसे सीढियां चढ़ते हैं, जैसे किसी मंदिर में जा रहे हों, उम्र भी रहती है, जोश भी, और तीन चार लाइफलाइन भी। ।
कितना सुखद लगता है, अपनी उपलब्धि पर दर्शकों के साथ साथ खुद भी ताली बजाना, और उससे भी रोचक वह दृश्य, जब शुरुआत में ही, फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट में अव्वल आने पर दोनों हाथ ऊपर कर खुशी जाहिर करना, नाचना, yes, I have done it, और भावुक हो, आंसू बहाना। महिला प्रतिस्पर्धी के लिए बिग बी रूमाल भी तैयार रखते हैं, आंसू पोंछने के लिए।
३.२० की राशि जीत का वह पड़ाव है जहां आजकल प्रतियोगी की पांचों उंगलियां घी में, और सर गर्व से उपलब्धि की बुलंदियों पर। यहां तक पहुंचने के लिए, इस जन्म में, याददाश्त बढ़ाने के लिए, दिमाग तेज करने के लिए, जितना भी दूध बादाम का सेवन किया होगा, सब ब्याज सहित वसूल। मूल ३.२० की राशि के साथ, साल भर के लिए गाय का शुद्ध, दानेदार घी भी। ।
यही तो खूबी है केबीसी की ! जब केबीसी पर घी का इस तरह विज्ञापन और प्रचार होता है, तब अमित बाबू को अपनी जबान भी काबू में रखनी पड़ती है, कहीं गलती से मुंह से, कुछ मीठा हो जाए, नहीं निकल जाए। वैसे बिग बी इतने भोले भी नहीं। आप नहीं जानते, सिर्फ “कुछ मीठा हो जाए” बोलने का वह कितना वसूल करते हैं। यूं ही नहीं कोई करोड़पति नहीं बन जाता।
किसी टीवी प्रोग्राम को रुचिकर बनाने और टीआरपी बढ़ाने के लिए क्या नहीं करना पड़ता। कभी अपने भाई भतीजों तो कभी सामाजिक कार्यकर्ताओं और सेलिब्रिटीज को केबीसी में आमंत्रित करना पड़ता है, और तरीके से, इतने कठिन लगने वाले, आसान सवाल पूछना पड़ता है, कि कम से कम, और अधिक अधिक, २५ लाख तो वह जीतकर ही जाए। ।
सफलता की सीढियां इतनी आसान नहीं होती बाबू मोशाय ! कहीं कहीं तो गाड़ी दस हजार पर ही अटक जाती है, और कहीं सरपट भागकर एक करोड़ पर पहुंच जाती है। लेकिन क्या कोई व्यक्ति केवल एक पायदान और चढ़कर, सात गुना राशि जीत सकता है। इतने मूर्ख तो नहीं होंगे केबीसी वाले।
दूर क्यों जाएं, इसी मंगलवार को एक और सज्जन केबीसी में करोड़पति बनने जा रहे हैं, देखते हैं, वे एक करोड़ पर ही अटक जाते हैं, अथवा सात करोड़ अपनी मुट्ठी में करके जाते हैं, वैसे उनकी पांचों उंगलियां तो घी में पहले से ही, हैं ही।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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