श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “भारत रत्न…“।)
अभी अभी # 267 ⇒ भारत रत्न… श्री प्रदीप शर्मा
भारत रत्नों की खान है।
हम यहां उन दरबारी नवरत्नों की बात नहीं कर रहे, जिनका जिक्र अक्सर गूगल सम्राट करते हैं। हम उन रत्नों की बात कर रहे हैं, जो करोड़ों भारतीयों के हृदय सम्राट हैं। रत्नों की अपनी गरिमा होती है, चमक दमक होती है, वे जिसका नमक खाते हैं, उनका ही गुणगान नहीं करते। यह माटी उनकी ऋणी होती है, पूरा देश उनका गुणगान करता है।
होंगे मियां तानसेन, संगीत सम्राट l लेकिन उनके गुरु भी तो हरि के ही दास थे।
जो असली रत्न होते हैं, वे महलों में शोभायमान नहीं होते, उनकी प्रतिभा के आगे तो अच्छे अच्छे सम्राट भी नतमस्तक होते हैं। सूर सूर, तुलसी शशि और मीराबाई जैसे असंख्य रत्नों से भरा पड़ा है, हमारा भारत रत्नों का भंडार।।
भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना २ जनवरी १९५४ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद द्वारा की गई थी। पहला भारत रत्न 1954 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सर सीवी रमन और चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को प्रदान किया गया।
जब भारत कुमार मनोज कुमार यह गीत गाते हैं, कि मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले मोती, तो यह कहीं से कहीं तक अतिशयोक्ति नहीं। कुछ माटी के लालों का जिक्र तो उसने भी बड़े जोशो खरोश के साथ किया है, लेकिन यह एक ऐसी सतत प्रक्रिया है जिसके कारण ही इस पुण्य भूमि पर देवता भी जन्म लेने को तरसते हैं।।
वैसे तो माटी माटी में भेद नहीं होता, रत्न रत्न होता है। हमारे देश में तो बच्चे बच्चे की जबान पर आज भी रतन टाटा का नाम है।
क्या आप जानते हैं, जब अंग्रेजों ने कोलकाता की हुबली नदी पर हावड़ा ब्रिज बनाया था, तो उसमें लगा पूरा स्टील भी टाटा का ही था।
वैसे तो रत्नों की पहचान इतनी आसान नहीं होती, फिर भी इंसान अपने गुण से आसानी से पहचाना जा सकता है। अगर देश के प्रमुख भारत रत्नों का जिक्र करें, तो पहले भारत रत्न बिहार से हमारे प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेंद्रप्रसाद ही थे। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि इस वर्ष भी भारत रत्न और कोई नहीं, बिहार के गौरव कर्पूरी ठाकुर ही हैं।।
मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर से पहले बिहार के पांच भारत रत्न हैं ;
१.विधान चंद्र राय
२. डा राजेंद्र प्रसाद
३. जय प्रकाश नारायण
४. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान
५. कर्पूरी ठाकुर
पांच महिला भारत रत्नों में
इंदिरा गांधी, अरुणा आसफ अली, मदर टेरेसा, सुब्बा लक्ष्मी और लता मंगेशकर शामिल हैं। सर्व श्री सीवी रमन, सचिन तेंदुलकर, नेल्सन मंडेला, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, अटलबिहारी बाजपेई और अमर्त्य सेन के बिना यह सूची अधूरी है।
यों तो भारत रत्न अनगिनत हैं, फिर भी इनकी संख्या शतक पार तो कर ही चुकी है। ईश्वर भले ही सबके साथ न्याय ना करे, देश उन सभी रत्नों का भी ऋणी है, जिन पर किसी पारखी की भले ही नजर ना पड़ी हो।
हर भारतीय अपने आपमें एक रत्न है, क्योंकि वह भारत माता का लाल है।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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