श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “पैसा और प्रेम…“।)
अभी अभी # 303 ⇒ पैसा और प्रेम… श्री प्रदीप शर्मा
हम प्रेमी, प्रेम करना जानें।
अभी कुछ दिनों पहले ही हमने एक पैसे वाले का पशु प्रेम देखा, और उसके तुरंत ही बाद अन्य पैसे वालों का उस पैसे वाले इंसान के प्रति प्रेम भी देखा। पैसे से प्रेम तो खैर सभी करते हैं, लेकिन पशुओं से प्रेम में यह व्यक्ति हमसे बहुत आगे निकल गया।
ईश्वर ने जिसे मुंह दिया है, उसे दाना भी वही देता है। आज के युग में जहां इंसान केवल अपना पेट भरने में लगा है, वहीं एक इंसान ऐसा भी है जो अस्सी करोड़ लोगों के पेट की चिंता पाल रहा है।
लेकिन उस व्यक्ति को क्या कहें जो मूक अशक्त और बूढ़े बीमार पशुओं की ना केवल चिंता करे, उनके भोजन की भी व्यवस्था करे।।
हम किंकर्तव्यविमूढ़ हों, इस व्यक्ति के प्रति नतमस्तक हों, उसके पहले ही हमारा ध्यान जामनगर की ओर चला गया। वहां हमने पैसे वालों का इस व्यक्ति के प्रति जो प्रेम देखा, तो हमें भी पैसे की भूख लग गई। भले ही पैसा खाने की चीज ना हो, लेकिन दिखाने की तो है।
हमने कहीं सुना है, देख पराई चूपड़ी, मत ललचावै जीव। हमारे पास पैसा ना सही, हम पशु प्रेमी ना सही, लेकिन भोजन प्रेमी तो हैं ही। जब भी हमें लार टपकती है, हम कुछ अच्छा सा खा लेते हैं, मन तृप्त और संतुष्ट हो जाता है और कुछ समय के लिए, पैसे की भूख भी शांत हो जाती है।।
भोजन किसे प्रिय नहीं। सबका अपना अपना प्रिय भोजन होता है, कहीं दाल रोटी तो कहीं हलवा पूरी।
कहीं बिरयानी तो कहीं इडली वड़ा और डोसा। ब्राह्मण को तो भोजन प्रिय होता ही है। छककर खाने के बाद डकार के साथ जो आशीर्वाद निकलता है, वह बड़ी दूर तक जाता है।
हम भारतीय अगर अच्छा खाते हैं तो अच्छा खिलाते भी हैं। मेहमाननवाजी कोई हमसे सीखे। जामनगर में तो प्री वेडिंग सेरेमनी में ही पूरी दुनिया मुट्ठी में समा गई थी। भाई साहब, अंबानी परिवार ने जामनगर के 51000 मेहमानों को आग्रहपूर्वक अपने हाथों से परोस परोसकर भोजन कराया।
भगवान ने जब सीलिंग तोड़ पैसा दिया है, तो उतना ही बड़ा दिल भी तो दिया है। इसे ही तो कहते हैं, सभ्यता और संस्कार।।
सिर्फ एक हजार करोड़ की शादी। एक भोजन प्रेमी तो ईश्वर से इनके लिए यही दुआ करेगा ;
साईं इतना दीजिए,
जा में वसुधैव कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा ना रहूं
बिल गेट्स भी ना भूखा जाय।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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