श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “गधे घोड़े में अंतर।)

?अभी अभी # 365 ⇒ गधे घोड़े में अंतर? श्री प्रदीप शर्मा  ?

 इंसान का इंसान से हो भाईचारा, लेकिन गधे घोड़े में अंतर पहचानें, यही पैगाम हमारा। वैसे तो इंसान इतना गधा भी नहीं, कि वह गधे घोड़े में अंतर ना पहचान सके, लेकिन फिर भी इंसान कभी कभी धोखा खा ही जाता है।

वैसे घोड़ा भी सिर्फ इंसान की ही सवारी के काम आता है। घोड़े से अच्छा तो उल्लू है, जिस पर लक्ष्मी जी सवार हैं। मूषक पर गणेश जी विराजमान हैं, और शेर पर पहाड़ां वाली शेरां वाली मां वैष्णो देवी। उधर शिवजी ने बैल पर सवारी कर ली तो उनके पुत्र कार्तिकेय ने मोर की। वह तो भला हुआ रामदेवरा के बाबा रामदेव पीर ने घोड़े की सवारी कर ली और मेवाड़ के महाराणा प्रताप के चेतक ने दुनिया में अपना नाम कर लिया लेकिन बेचारा गधा, फिर भी, ना घर का रहा, और ना घाट का।।

वैसे घोड़ा सिर्फ वीरों की सवारी ही नहीं होता, युद्ध में अश्व सेना होती थी, अश्वारोही होते थे, उनके लिए अश्व शाला होती थी। महाभारत के युद्ध में तो चतुरंगिनी और

अक्षौहिणी सेना का वर्णन है, जिनमें हाथी हैं, घोड़े हैं, रथ हैं और पैदल सिपाही हैं, लेकिन बेचारा गधा वहां भी नदारद है।

घोड़े पर जो घुड़सवार बैठता है, वह वीर कहलाता है, जो घोड़ी पर बैठता है, वह वर कहलाता है। समझदार इंसान वैसे एक बार ही घोड़ी चढ़ता है, बार बार घोड़ी तो कोई गधा ही चढ़ता होगा।।

घोड़े की खरीद फरोख्त को हॉर्स ट्रेडिंग कहा जाता है। अरबी घोड़े बहुत महंगे होते हैं। घोड़े की रेस में भी किसी खास घोड़े पर ही बोली लगाई जाती है। हारने पर कई रईस सड़कों पर आ जाते हैं। लेकिन जब से राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग शुरू हुई है, घोड़े गधे एक ही चाल चलने लगे हैं। वैसे शतरंज के खेल में भी आपको हाथी, घोड़ा, ऊंट और सैनिक मिलेंगे, लेकिन गधे को वहां भी कोई लिफ्ट नहीं। गधा ना तो खुद भाग सकता है और ना ही कोई इस पर सवार होना चाहता है। इससे तो खच्चर और टट्टू भला, जो पहाड़ों में बोझा भी ढोते हैं और सवारियों को भी।

राजनीति की हॉर्स ट्रेडिंग में घोड़े तो घोड़े, गधों के भी भाव बढ़े रहते हैं। जो राजनीति के चाणक्य होते हैं, वे ही गधे घोड़े में अंतर कर सकते हैं। शतरंज के इस खेल में कौन प्यादा कब वजीर बन जाए, और कौन घोड़ा ढाई घर चल मात ही दे दे, कुछ कहा नहीं जा सकता।।

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© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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