श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “उदासी…“।)
अभी अभी # 381 ⇒ उदासी… श्री प्रदीप शर्मा
उदासी !
गम की दासी
रात की रोटी
ठंडी-बासी
स्वस्थ शरीर में
मानो सूखी खाँसी
खुशियों के उपवन में
मुरझाए-पुष्प
छाई उदासी।
उत्साह के बजाय
उबासी
सुन सुन आए
हाँसी
हलक से हरूफ
बाहर आते नहीं
बिन जल्लाद-रस्सी
मानो लग रही फाँसी।।
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© श्री प्रदीप शर्मा
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