श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “॥ मेंटलमैन ॥ …“।)
अभी अभी # 419 ⇒ ॥ मेंटलमैन ॥ … श्री प्रदीप शर्मा
(*mentalman)
सभ्य और सज्जन पुरुष को अंग्रेजी में जेंटलमैन कहते हैं। Gentle शब्द से ही तो बना है जेंटलमैन। जैंटल का अर्थ सौम्य भी होता है। सौम्य अर्थात् गंभीर और कोमल स्वभाव का सुशील, शांत, नम्र।
सौम्य एवं सौम्या भारतीय नाम है। उत्तर एवं पूर्वी भारत में यह पुरुषवाचक रूप सौम्य में अधिक प्रयुक्त होता है और दक्षिण भारत में यह महिलासूचक रूप सौम्या में अधिक उपयोग होता है। सौम्य का मतलब कोमल, मुलायम, मृदुल है। सौम्य का अर्थ ‘सोम के पुत्र’ से भी है। [1] संस्कृत में ‘चन्द्र’ को सोम कहा जाता है अतः इसका अर्ध चन्द्र का पुत्र ‘बुध’ होता है। लेकिन सौम्य का शब्दिक अर्थ शुभग्रह है।।
संक्षिप्त में, हम शरीफ व्यक्ति को जेंटलमैन कह सकते हैं, जो किसी के लेने देने में नहीं पड़ता, केवल अपने काम से काम रखता है ;
शरीफ़ों का ज़माने में
अजी बस हाल वो देखा
कि शराफ़त छोड़ दी मैने।।
लेकिन जो सज्जन पुरुष होते हैं, वे किसी भी परिस्थिति में भलमनसाहत नहीं छोड़ते ;
इसको ही जीना कहते हैं तो यूँ ही जी लेंगे।
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे
आँसू पी लेंगे।।
दुख को पीना, विपरीत परिस्थितियों में भी सत्य की राह पर चलना इतना आसान नहीं होता। जिसके कारण मन में चिंता, अवसाद और घुटन घर कर लेती है। एक अच्छा भला इंसान जेंटलमैन से मेंटलमैन बन जाता है।
बाहर से वह स्वस्थ और प्रसन्नचित्त नजर आता है, लेकिन अंदर से उसकी हालत बद से बदतर होती जाती है। अच्छा खाना, पहनना, चेहरे पर सदा मुस्कुराहट बनाए रखने के लिए वह मजबूर होता है। किसी को कानों कान खबर नहीं होती, उसके अंदर क्या चल रहा है।।
मेरी बात रही मेरे मन में,
कुछ कह ना सकी उलझन में ;
नियमित व्यायाम, संतुलित आचरण के बावजूद इस स्वार्थी और बनावटी संसार से वह समझौता नहीं कर पाता, और धीरे धीरे जेंटल से मेंटल होने लगता है।
मेंटल होने की यह बीमारी केवल वयस्कों में ही नहीं, आज की युवा पीढ़ी में भी घर करती जा रही है।
सपने देखना आसान होता है, लेकिन पूरी मेहनत और ईमानदारी के बावजूद भी जब निराशा और असफलता ही हाथ लगती है तो परिणाम की चिंता किए बगैर वह कुछ ऐसा अप्रत्याशित कदम उठा लेता है, जो कल्पना से परे और दुर्भाग्यपूर्ण होता है।।
आज ऊपर से हर व्यक्ति जेंटलमैन ही नज़र आता है, लेकिन उसके अंदर क्या चल रहा है, यह केवल वह ही जानता है। हमारे बीच आज कितने जेंटलमैन हैं और कितने मेंटलमैन, यह पहचान पाना बड़ा मुश्किल है।
गुब्बारा जब तक फूला रहता है, तब तक ही आकर्षक लगता है, लेकिन एक हल्की सी खरोंच, और वह फूट पड़ता है। शायद आपको अतिशयोक्ति लगे लेकिन शायर गलत नहीं कहता ;
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है।
इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यों है।।
एक तंदुरुस्त दिल और स्वस्थ दिमाग ही तो एक सज्जन पुरुष की पहचान है, और जो सभ्य, सौम्य और जेंटलमैन हैं, उनके ही क्यों हार्ट अटैक होते हैं, उनको ही क्यों अधिक ब्रेन हेमरेज होता है। कहीं सभी जेंटलमैन, मेंटलमैन तो नहीं बनते जा रहे ??
© श्री प्रदीप शर्मा
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