श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “महमूद और किशोर कुमार…“।)
अभी अभी # 441 ⇒ महमूद और किशोर कुमार… श्री प्रदीप शर्मा
फिल्मों में हास्य, संगीत और मनोरंजन का जब भी जिक्र होगा, महमूद और किशोर कुमार को अवश्य याद किया जाएगा। केवल भाव भंगिमा के बल पर दुनिया को हंसाने वाला अगर चार्ली चैपलिन था तो थॉमस हार्डी जैसी बेजोड़ जोड़ी शायद ही दुनिया में दूसरी पैदा हुई हो।
किशोर कुमार के तो व्यक्तित्व में ही मस्ती, हास्य और चुलबुलापन था। जो लोग दुनिया में खुशियां बिखेरते हैं, उनके अंदर भी एक संजीदा इंसान होता है, चाहे वह जॉनी वॉकर, महमूद अथवा किशोर ही क्यों ना हो। ढलती उम्र में आनंद में जॉनी वॉकर का आंसू भिगो देने वाला मार्मिक अभिनय, किशोर कुमार की दो फिल्में दूर का राही और दूर गगन की छांव में तथा महमूद का कुंवारा बाप जैसी फिल्में तो यही साबित करती हैं।।
महमूद और किशोर कुमार के पहले दो शब्द जॉनी वॉकर के बारे में। हम पीते नहीं, लेकिन जॉनी वॉकर की कॉमेडी का नशा हमारे सर चढ़कर बोलता था। जॉनी वॉकर गुरुदत्त की खोज थे और गुरुदत्त की छोटी लेकिन महत्वपूर्ण पारी उन्हें एक उत्कृष्ट अभिनेता और महान निर्माता साबित करने के लिए काफी थी। उनकी अधिकांश फिल्मों में जॉनी भाई को भी अपने विशिष्ट अंदाज में देखा जा सकता था। लेकिन अफसोस गुरुदत्त के असमय जाते ही
जॉनी वॉकर भी गुमनामी के अंधेरे में ना जाने कहां खो गए।
किशोर कुमार एक हरफनमौला कलाकार थे, कभी गायक तो कभी निर्माता और अभिनेता। उनकी बनाई हास्य फिल्मों में चलती का नाम गाड़ी और बढ़ती का नाम दाढ़ी प्रमुख है, जिनमें अशोक, किशोर और अनूप, तीनों कुमार एक साथ देखे जा सकते हैं।
एक अभिनेता के रूप में उनकी गंगा की लहरें, हम सब उस्ताद हैं और मि. एक्स इन बॉम्बे प्रमुख हैं।
इन सभी फिल्मों में एक खासियत है, इनमें आपको महमूद कहीं नजर नहीं आएंगे।।
किशोर कुमार का अपना अलग ही अंदाज है। उन्हीं की कहानी उन्हीं की जबानी संक्षेप में ;
चलचित्रम् की कथा सुनाए किशोरकुमारम्
जय गोविन्दं जय गोपालं !
उछलम् कूदम जय महमूदम्, बम बम नाचे किशोर कुमारम् …
एक बड़ा फिल्म निर्माता चार चार हीरो और हीरोइन लेकर फिल्म तो बना सकता है, लेकिन महमूद, जॉनी वॉकर और किशोर कुमार को एक साथ लेकर फिल्म नहीं बना सकता।
बहुत कम ऐसी फिल्में हैं, जिनमें महमूद और जॉनी वॉकर ने एक साथ काम किया हो। वैसे किशोर कुमार को एक कॉमेडियन के रूप में भी अधिक फिल्में नहीं मिल पाई हैं, क्योंकि किशोर कुमार शुरू से ही भारतीय फिल्मों के एक सफल गायक बन चुके थे।
महमूद एक हास्य कलाकार के अलावा अभिनेता एवं प्रोड्यूसर डायरेक्टर भी थे। छोटे नवाब, भूत बंगला, साधु और शैतान, बॉम्बे टू गोवा, पड़ोसन और कुंवारा बाप उनकी कुछ प्रमुख फिल्में मानी जाती हैं। फिल्म प्यार किए जा एकमात्र ऐसी फिल्म थी, जिसमें किशोर कुमार, महमूद और ओमप्रकाश साथ साथ थे।
इनमें से तीन फिल्मों में आपको महमूद के साथ किशोर कुमार भी नजर आएंगे। किशोर तो किशोर हैं, जहां भी जाएंगे छा जाएंगे, फिर भले ही वह फिल्म बॉम्बे टू गोवा हो अथवा साधु और शैतान।
फिल्म पड़ोसन ने तो इतिहास ही रच दिया।।
महमूद ने कॉमेडी में कई जोड़ियां बनाई। किशोर के अलावा आई एस जौहर के साथ भी फिल्म जौहर महमूद इन गोवा में दर्शकों ने इन्हें खूब पसंद किया। जौहर महमूद इन हांगकांग उतनी नहीं चली और जौहर महमूद इन काश्मीर शायद चल ही नहीं आई।
महमूद ने अभिनेत्रियों शशिकला और मुमताज के अलावा शुभा खोटे, अरुणा ईरानी और साउथ की अभिनेत्री भारती के साथ भी जोड़ियां जमाकर दर्शकों को गुदगुदाया।
दिलीप, देव और राजकपूर अपनी फिल्मों से महमूद को दूर ही रखते थे।।
महमूद ने किशोर कुमार के प्लेबैक का भी अपनी फिल्मों में भरपूर उपयोग किया, जब कि मन्ना डे उनके पसंदीदा गायक थे।
फिल्म भूत बंगला का किशोर कुमार का गीत, जागो सोने वालों, सुनो मेरी कहानी महमूद पर ही फिल्माया गया है।
फिल्म मस्ताना का एक गीत चंदा ओ चंदा, किसने चुराई, तेरी मेरी निंदिया में किशोर का साथ लता ने भी दिया है। कुंवारा बाप की महमूद की मर्मस्पर्शी लोरी भी तो किशोर कुमार और लता ही ने गाई है ;
आ री आ जा निंदिया
तू ले चल कहीं
उड़न खटोले में दूर,
दूर, दूर, यहाँ से दूर
आ री आजा निंदिया
तू ले चल कहीं ….
कॉमेडी फॉर कॉमेडी सेक और आर्ट फॉर आर्ट्स सेक ! महमूद की फिल्म पड़ोसन के गीत एक चतुर नार बड़ी होशियार में बड़ा धर्मसंकट आन पड़ा। संगीत में कौन गायक महान, मन्ना डे अथवा किशोर कुमार। उधर मन्ना डे महमूद को अपना स्वर दे रहे हैं और इधर किशोर अपना स्वर सुनील दत्त को। कला की जीत हुई और संगीत हार गया। कभी कभी ऐसा भी होता है, जब किशोर, महमूद और मन्ना डे की जुगलबंदी होती है।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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