श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “माफ कीजिए।)

?अभी अभी # 533 ⇒ माफ कीजिए ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

वैसे देखा जाए तो सुबह सुबह माफी मांगने का कोई औचित्य नहीं, लेकिन होते हैं कुछ लोग, जो उठते ही माफी मांगने लगते हैं।

जिस तरह रात को सोते वक्त कुछ लोगों को बिना तकिये के नींद नहीं आती, उसी तरह बिना किसी तकिया कलाम के सुबह सुबह उनका कोई वाक्य ही शुरू नहीं होता।

आइए आपसे माफी मांगने के पहले तकिये के मनोविज्ञान पर चर्चा करें। आखिर क्या है तकिया, और नींद से तकिये का क्या संबंध। बचपन में हमारा अपना तकिया होता था, और हम तकिये से खेल खेल में घर तक बनाया करते थे। एक महल हो तकियों का।।

कभी मां की गोद हमारा तकिया होती थी, तो कभी पिताजी का कंधा। तकिया एक आलंबन है नींद का। फिर शुरू हुआ गुड्डे गड्डियों की जगह टैडी का खेल।

मम्मी डैडी भी निश्चिंत। गुड़िया के कमरे में टैडी का महल। रोज एक नए टैडी के साथ सोना, मानो वही उसके सपनों का राजकुमार हो। वैसे टैडी तकिये में कोई खास अंतर भी नहीं है।

माफ कीजिए हम तकिये से टैडी पर आ गए, क्योंकि “माफ कीजिए”, हमारा तकिया कलाम है। इसके बिना हमारा कोई वाक्य पूरा नहीं होता। सुबह उठते ही जब हम अपनी श्रीमती जी से कहते हैं, माफ कीजिए, एक कप चाय मिलेगी, तो वह भी आजकल यही जवाब देने लग गई है, माफ तो मैं आपको जिंदगी भर नहीं करने वाली, लेकिन हां अगर एक कप चाय चाहिए, तो वह जरूर मिल जाएगी।।

तकिये की तरह सबके अपने अपने तकिया कलाम होते हैं, जो अनायास ही बोलने में आ जाते हैं। शुद्ध हिंदी वाले जिंदगी भर क्षमा मांगा करते हैं, तो अंग्रेजी तकिये वाले हंसते, खांसते, छींकते, एक्सक्यूज़ मी का राग ही अलापते रहते हैं।

हद तो तब होती है, जब तकिया कलाम का कुछ इस तरह प्रयोग होता है।

इस बात के लिए मैं आपको जिंदगी भर माफ नहीं कर पाऊंगा। वैसे भी आपसे माफी मांग कौन रहा है। मत करो माफ। हम भी याद करेंगे, यह इंसान हमें माफ किये बिना ही चला गया। अगर माफ कर देता, तो शायद जिंदगी से हाथ तो नहीं धोना पड़ता।।

लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता। अगली बार जब वह व्यक्ति मिलता है, तो उसे कुछ याद ही नहीं रहता। कौन सी माफी और कौन सी जिंदगी। माफ करना, वह तो मेरा तकिया कलाम था।

माफी चाहता हूं, मैं थोड़ा लेट हो गया। आप मत करिए उसको माफ, वह कुछ नहीं कर सकता। वह हमेशा लेट आएगा, और इसी तरह माफी मांगता रहेगा।।

सड़क पर कोई भिखारी उनसे पैसे मांग रहा है और वे कह रहे हैं, माफ करो भैया, आगे बढ़ो। वह तो केवल भीख मांग रहा है और एक आप हैं, जो उससे माफी मांग रहे हैं। मानो भीख नहीं देकर आपने बहुत बड़ी गलती कर दी हो। और अगर वह भिखारी भी आपको जिंदगी भर माफ नहीं करे तो आप क्या कर लोगे।

माफ कीजिए, हमने अभी अभी, सुबह सवेरे ही आपका बहुत समय ले लिया। अगर आपने भी हमें जिंदगी भर माफ नहीं किया, तो माफ कीजिए, हम अब कभी अभी अभी नहीं लिखेंगे।।

(मिलते हैं कल, क्योंकि “माफ कीजिए”, यह तो हमारा तकिया कलाम है।)

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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