श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “नेकी कर, यूट्यूब पर डाल…“।)
अभी अभी # 659 ⇒ नेकी कर, यूट्यूब पर डाल…
श्री प्रदीप शर्मा
होते हैं इस संसार में चंद ऐसे नेकचंद, जो नेकी तो करते हैं, लेकिन नेकी की कद्र ना करते हुए उसे दरिया में बहा देते हैं। दरिया के भाग तो देखें, नेकी की गंगा तो दरिया में बह रही है और राम, तेरी गंगा मैली हो रही है, पापियों के पाप धोते धोते। फिर भी देखिए, एक संत का चित्त कितना शुद्ध है, चलो मन, गंगा जमना तीर। हम कब नेकी की कद्र करना जानेंगे।
जिस तरह जल ही जीवन है, उसी तरह अच्छाई, जिसे हम नेकी कहते हैं, वह भी एक लुप्तप्राय सद्गुण हो चला है, इसे सुरक्षित और संरक्षित रखना ही समय की मांग है, इसे यूं ही दरिया में बहाना समझदारी नहीं।।
अच्छाई का जितना प्रचार प्रसार हो, उतना बेहतर। किताबों के ज्ञान की तुलना में व्यवहारिक ज्ञान अधिक श्रेष्ठ है। कहां हैं आजकल ऐसे लोग ;
भला करने वाले,
भलाई किए जा।
बुराई के बदले,
दुआएं दिए जा।।
हमारा आज का सिद्धांत, जैसे को तैसा हो गया है। कोई अगर आपके एक गाल पर चांटा मारे, तो बदले में उसका मुंह तोड़ दो। नेकी गई भाड़ में। देख तेरे नेकी के दरिये की, क्या हालत हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान।
कहते हैं, आज की इस दुनिया में बुराई और पाप बहुत बढ़ गया है। पाप का घड़ा तो कब का भर जाता। कुछ नेकी और कुछ नेकचंद, यानी कुछ अच्छाई और कुछ अच्छे लोग आज भी हमारे बीच हैं, जिनके पुण्य प्रताप से हम अभी तक रसातल में नहीं समाए। लोग भी थोड़े समझदार और जिम्मेदार हो चले हैं। नेकी की कद्र करने लगे हैं। कुछ लोग नेकी को आजकल दरिया में नहीं व्हाट्सएप पर अथवा फेसबुक पर भी डालने लगे हैं।।
व्हाट्सएप पर तो मानो फिर से नेकी का ही दरिया बह निकला है। व्हाट्सएप भी हैरान, परेशान, बार बार संकेत भी देने लगता है, forwarded many times, लेकिन नेकी है, जो बहती चली आ रही है। किसी ने नेकी को व्हाट्सपप से उठाकर फेसबुक पर डाल दिया। खूब लाइक, कमेंट और शेयर करने वाले मिल रहे हैं नेकी को। नेकी की इतनी पूछ परख पहले कभी नहीं हुई, जितनी आज सोशल मीडिया में हो रही है। हाल ही में एक मित्र ने व्हाट्सएप पर एक ग्रुप बनाया, एक बनेंगे, नेक बनेंगे और मुझे बिना मेरी जानकारी के उसमें शामिल भी कर लिया। जब मैंने पूछा, तो यही जवाब मिला, नेकी और पूछ पूछ।
टीवी पर दर्जनों धार्मिक चैनल इस नेक काम में लगे हुए हैं, कितने सामाजिक, धार्मिक और पारमार्थिक संगठन और एन.जी. ओ. नेकी की मशाल से जन जागृति फैला रहे हैं। लोग तो आजकल अपनी प्रकाशित पुस्तकें भी अमेजान पर डालने लगे हैं। हमारे मुकेश भाई अंबानी ने भी जिओ नेटवर्क की ऐसी नेकी की मिसाल पेश की है कि हमारा भी मन करता है, हम भी कुछ नेकी यू ट्यूब पर डाल ही दें। आपसे उम्मीद है आप हमारे चैनल को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब अवश्य करेंगे।
आप भी आगे से ध्यान रखें, व्यर्थ दरिया में डालने के बजाए, नेकी करें और यूट्यूब पर बहाएं और दो पैसे भी कमाएं।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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