श्री सूरज कुमार सिंह
इंसान पीढ़ियाँ और सोशल साइट्स
कहकर की संचार क्षेत्र मे क्रांति तुमने लाई है,
बिछुड़े मिलाए जानकारी पहुँचाये ऐसी चीज़ बनाई है।
तार, खत, टेलिफोन आदि सब को पीछे छोड़ आई है,
जो वस्तु सबके द्वारा सोशल साइट कहलाई है।
ईमोटिकाॅन, शॉर्टकट शब्दावली ने शुद्ध भाषा मिटाई है,
अंतर्मुखी भी चैट करें ऐसी बेला आई है।
टेलिकॉम सेवा वाले सस्ते डेटा बरसाए हैं,
किताब-कलम छूटी हाथों से अब जो स्मार्टफोन आए हैं।
और तो और कोरोना की कैसी घड़ी यह आई है,
सोशल साइट्स की आंधी अब तो हर दिशा मे छाई हैI
आया जो फोन मे सोशल मीडिया रिश्तेदार मानो कोई आया है,
नए- नए विचार, प्रसंगों की बहार जीवन मे लाया है।
आया हुआ रिश्तेदार परंतु लेकर बहुत कुछ जाएगा,
नफरत और फ़िरकेबाज़ी मे सबको यह उलझाएगा।
जोड़ कर इन्होंने रिश्ते दो तोड़े हैं दो हज़ार
दूर हो गए वो जिनसे करते थे कभी हम प्यार।
समय और निजी डेटा हमारे ऐसे चुराएँ हैं,
कर्ज़ किसी जन्म के जैसे हमने इनसे खाए हैं।
करना प्रयोग अवश्य इनके पर यह गौर फरमाना
मत देना चाबी जीवन की, नही तो भ्रष्ट हो जाएगा ज़माना।
© श्री सूरज कुमार सिंह
रांची