श्री अरुण कुमार डनायक
(श्री अरुण कुमार डनायक जी महात्मा गांधी जी के विचारों केअध्येता हैं. आप का जन्म दमोह जिले के हटा में 15 फरवरी 1958 को हुआ. सागर विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त वे भारतीय स्टेट बैंक में 1980 में भर्ती हुए. बैंक की सेवा से सहायक महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृति पश्चात वे सामाजिक सरोकारों से जुड़ गए और अनेक रचनात्मक गतिविधियों से संलग्न है. गांधी के विचारों के अध्येता श्री अरुण डनायक जी वर्तमान में गांधी दर्शन को जन जन तक पहुँचाने के लिए कभी नर्मदा यात्रा पर निकल पड़ते हैं तो कभी विद्यालयों में छात्रों के बीच पहुँच जाते है. लेख में वर्णित विचार श्री अरुण जी के व्यक्तिगत विचार हैं। ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से आग्रह है कि पूज्य बापू के इस गांधी-चर्चा आलेख शृंखला को सकारात्मक दृष्टिकोण से लें. हमारा पूर्ण प्रयास है कि- आप उनकी रचनाएँ प्रत्येक बुधवार को आत्मसात कर सकें। आज प्रस्तुत है “छात्रों में बड़ी ऊर्जा है ”)
☆ गांधी चर्चा # 43 – बापू के संस्मरण – 23 ☆
☆ छात्रों में बड़ी ऊर्जा है ☆
1927 की बात है। मैसूर मे स्टूडेंट वर्ल्ड फ़ेड़रेशन का अधिवेशन था। उसके अंतेर्राष्ट्रीय अध्यक्ष रेवेरेंट मार्ट गांधी जी से मिलने अहमदाबाद आए।
जब उनकी मुलाक़ात गांधीजी से हुई तब उन्होने गांधीजी से छात्र समस्यायों पर बातें की।गांधीजी ने स्पष्ट कहा कि वे छात्रो को अपने छात्र जीवन मे राजनीति मे प्रवेश के पक्षधर नहीं हैं। उन्हे पहले अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए। अगर वे चाहें तो ग्रामो मे जाकर उनके बीच सेवा कार्य कर सकते हैं। छात्रो मे बड़ी ऊर्जा है लेकिन उन्हे अपनी ऊर्जा का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
मार्ट ने गांधीजी से पूछा कि “आपके जीवन मे आशा निराशा के कई प्रसंग आते होंगे ,उनमे आपको किस चीज़ से ज्यादा आश्वासन मिलता है?”
गांधी जी ने उत्तर दिया कि “हमारे देश की जनता शांतिप्रिय है। उससे लाख छेडछाड़ की जाये, वह अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ेगी।”
उनका दूसरा प्रश्न था कि – “आपको कौन सी चीज़ ज्यादा चिंतित करती है।”
तब गांधी जी ने कहा कि – “शिक्षित लोगो मे दया भाव सूख रहा है और, वह मुझे ज्यादा चिंतित कर रही है।”
© श्री अरुण कुमार डनायक
42, रायल पाम, ग्रीन हाइट्स, त्रिलंगा, भोपाल- 39