डाॅ. मीना श्रीवास्तव

 

☆ आलेख ☆ नव-मतदाताओं का कर्तव्य ☆ डाॅ. मीना श्रीवास्तव

जिन्होंने अभी-अभी अठारह वर्ष की आयु पार की है और जिनमें भारत माता की  सकल आशाएँ समाहित हैं ऐसे भारत के सकल राजकुमार और राजकुमारियों को मेरा दिलसे विनम्र प्रणाम!

अब्राहम लिंकन ने प्रसिद्ध रूप से लोकतंत्र को “लोगों द्वारा, लोगों के लिए, लोगों द्वारा संचालित सरकार” के रूप में परिभाषित किया। इसका एक अहम कदम है चुनाव! देश में १८ वीं लोकसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं| १६ मार्च, २०२४ को केंद्रीय चुनाव आयोग ने सात चरणों (१९ अप्रैल से २ जून, २०२४) के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की। १० फरवरी २०२४ को चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल ९६. ८८ करोड़ मतदाताओं में से १. ८५ करोड़ (१.९०%) ‘नव-मतदाता’ हैं| बताया गया है कि, इस विराट प्रक्रिया में ५ लाख मतदान केंद्र और १. ५ करोड़ चुनाव कर्मचारी कार्यरत हैं। चुनाव आयोग ने इस चुनाव  के लिए ४ ‘M’ चुनौतियों’ का विवरण दिया है। नव-मतदाताओं को इनकी सम्पूर्ण जानकारी लेना बहुत जरुरी है| Muscle (बाहुबल), Money (पैसा), Misinformation (गलत जानकारी) और MCC (Moral Code of Conduct) violation, (नैतिक आचार संहिता का उल्लंघन), इन मुद्दों पर वर्त्तमान चुनाव आयोग की पैनी नजर रहेगी|

जब पहली बार मतदान करने की जिम्मेदारी नव-मतदाताओं पर आती है, तो उन्हें दबाव में न आते हुए खुद को भाग्यशाली समझना चाहिए और गर्व से इसमें अपनी भूमिका अदा करनी चाहिए। मतदान के सबूत के तौर पर उंगली पर स्याही की एक बूँद को गर्व से प्रदर्शित किया जाने वाला अलंकार ही माना जाना चाहिए! उनके लिए यह समझना ज़रूरी है कि, हर एक मत अमूल्य है, बल्कि यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है| शायद उनका यहीं एक मत निर्णायक हो सकता है। जब तक मतदाता अपना कर्तव्य निभाने का यह पहला आनंद अनुभव नहीं करता, तब तक उसे इस चीज का ‘चार्म’ समझ में नहीं आएगा!

आंख मूँदकर किसी के कहने पर (परिवार के सदस्य, मित्रमंडली, अड़ोस-पड़ोस के लोग, केवल मंचीय वाक्पटु वक्ता या सेलेब्रिटी सितारों के प्रभाव में आकर)  या लालच में फंसकर या बिना किसी जांच-पड़ताल के मत देना था सो दे दिया, ऐसा गलत ऐटिटूड नहीं दिखाना चाहिए। मेरे युवा मित्रों, आजकल हर कोई अपनी स्पेस चाहता है न| ‘मेरी राय पर विचार किए बिना ऐसा क्यों किया?’ यह सवाल अपने बड़ों से पूछने वाले आप ‘सोचविचार करने वाली नेक्स्ट जनरेशन’ के प्रतिनिधि हैं ना! तो फिर वोट करते समय आपकी यहीं ऊर्जा अपने साथ रहने दें| अपनी पसंदीदा ऑनलाइन ज्ञानगंगा तथा आपकी सुपरकंप्यूटर जैसी तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता का निश्चित तौर पर उपयोग करें। चुनाव से सम्बंधित वेबसाइट के हर कोने की बारीकी से जाँच पड़ताल करें। अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने के लिए हरसंभव प्रयास करें। फिर यह भी जाँच कर लें कि, आपका नाम मतदाता सूची में है या नहीं। गलती से यदि वह नहीं हुआ है, तो क्या करना है इसका हल ढूंढने पर जरूर मिलेगा। ismen मैं अपनी और से थोडीसी जानकारी जोड़ दूँ! देखिए किस प्रकार  आप १८ वर्ष पूरे होने का इंतजार किए बिना मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं। अगस्त २०२२ के संशोधित नियम आपके लिए बेहद अनुकूल हैं। १ जनवरी, १ अप्रैल, १ जुलाई और १ अक्टूबर को जब आप १८ वर्ष के हो जाएंगे, तो उस बिंदु पर आपका नाम मतदाता सूची में शामिल हो सकता है। (पहले १ जनवरी ही एकमात्र तारीख मानी जाती थी) यह भी ध्यान में रखें कि, मतदाता पहचान पत्र आपकी विश्वसनीय भारतीयता और निवास के प्रमाण के रूप में जनता और सरकार को स्वीकार्य होता है।

अब सरकार और समाज आपके अधिकार के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं। इस चुनाव में अधिक से अधिक संख्या में नये मतदाता कैसे भाग ले सकते हैं, इसका प्रबंधन विभिन्न स्तरों पर किया जा रहा है| विभिन्न कॉलेज इस मुद्दे पर जागरूकता अभियान चला रहे हैं और छात्रों का उपबोधन (काउंसलिंग) कर रहे हैं, साथ ही इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा कि, मतदान के दिन विद्यार्थियों की परीक्षाएं न हो। इस संबंध में युवा संगठनों तथा युवा नेताओं को अपने हमउम्र साथियों का विशेष ‘ज्ञानप्रबोधन’ करने की पहल करनी चाहिए। शायद अगले चुनाव में आपमें से कोई युवा नेता मैदान में खड़ा हो!

प्रिय नव-मतदाताओं, आप जिस केंद्र पर मतदान करने वाले हैं, वहाँ जो भी उम्मीदवार खड़े हैं, उनके बारे में A TO Z जानकारी निश्चित रूप से चुनाव वेबसाइट पर उपलब्ध होगी, बल्कि, यह अनिवार्य है| आप उसकी प्रोफाइल देखिए| यह सोचें कि वह आपके लिए क्या कर सकता है, जैसे- भविष्यकालीन जीवन में आपके लिए शिक्षा, रोज़गार के अवसर, युवाओं के लिए काम करने का उनका जुनून और क्षमता, युवा पीढ़ी के लिए उनकी योजनाएँ, आदि! विभाग की समस्या सुलझाने की कुशलता, आपके विभाग के लिए पहले किए गए महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य, अगर यह व्यक्ति लोकसभा में जाता है तो आपके भावी जीवन में इसका कितना योगदान होगा? आइये, अपने निर्धारित निष्पक्ष मानदंडों के आधार पर पहले से ही जांच करें कि, कौनसा उम्मीदवार आपको सही उम्मीदवार लगता है, न कि जब आप वोटिंग मशीन के सामने खड़े हों। आपको बैलेट पेपर का वर्चुअल सैंपल यानि ओपन क्वेश्चन पेपर देखने को मिलता है और गंभीर रूप से सोचने के लिए पर्याप्त समय भी! क्या सुन्दर परीक्षा है! चुनाव के दिन शान से जाएं और EVM मशीन का उपयोग करके (पहले से तय) स्थान पर वोट डालकर इस परीक्षा के समापन का जश्न धूमधाम से मनाएं! लेकिन यह वोटिंग गुप्त होता है, इसलिए आपने किसे वोट दिया, यह रहस्य अपने तक ही सीमित रहने दीजिए! यदि आपने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, वह निर्वाचित हो जाए तो अच्छा ही है, लेकिन यदि वह हार जाए तो बुरा मत मानिए, क्योंकि आपने अपना कर्तव्य जागरूकता से निभाया है, इसका आनन्द जताइए!

NOTA-(नोटा-“None Of The Above”) क्या है, इसकी जानकारी प्राप्त कीजिये| २००९ से मतदाताओं को यह सुविधा प्रदान की जा रही है। यानी कई लड़कियों (या लड़कों) को देखने के बाद भी, मुझे उनमें से कोई भी पसंद नहीं आई/आया! ऐसे समय में मुझे किसी को वोट देने की इच्छा नहीं है, फिर मतदान केंद्र पर क्यों जाऊँ? कृपया ऐसा मत सोचिये| ‘NOTA’ विकल्प चुनें, जिसका अर्थ है कि, मुझे कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है। इसके बारे में समग्र जानकारी हासिल करें कि, इस प्रक्रिया में ‘इनकार’ भी कैसे महत्वपूर्ण है। मैं इस बात पर इसलिए जोर दे रही हूँ कि, चाहे जो भी हो, जैसा भी हो, आपको वोट देने का अपना अधिकार नहीं छोड़ना चाहिए!

मेरे विचार में यहाँ कुछ बातें महत्वपूर्ण हैं। माता-पिता को बच्चों की मतदान की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किए बिना उनका नाम मतदाता सूची में शामिल करवाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। इसके लिए घर के सभी सदस्यों को मन में यह हानिकारक विचार कदापि नहीं लाना चाहिए कि, जब मतदान के दिन छुट्टी है तो चलो पिकनिक मनाएं| आपको प्रत्येक चुनाव में मतदान करके अपने बच्चों के सामने अपना आदर्श स्थापित करना चाहिए। मेरा दृढ़ विश्वास है कि, बच्चे स्वयं  ही आपका अनुसरण करेंगे। मेरे युवा मित्रों, आप देश की सकारात्मक ऊर्जा के प्रतिनिधि हैं। इसे वर्तमान स्थिति, चुनाव प्रक्रिया की खामियों या उम्मीदवारों के प्रति पूर्वाग्रहपर बेकार ही बर्बाद न करें। यदि आप मतदान नहीं करते हैं, तो संभावना है कि, गलत उम्मीदवार चुना जाएगा। इसके लिए गैर-मतदाता जिम्मेदार हैं| उनके निर्वाचित होने के बाद आपको उनके नाम पर कीचड़ फेंकने का कोई अधिकार नहीं है। वोट न देकर आप उसे पहले ही खो चुके हैं। ‘मैं अपनी सरकार खुद चुनूंगा’ इतना आसान formula हम क्यों नहीं अपनाते?

क्या हमें अपनी भारत माता के प्रति वहीं श्रद्धा नहीं होनी चाहिए, जिस भावना से हम मंदिरों और तीर्थयात्रा पर जाते हैं? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति हमारी पराकाष्ठा घर से शुरू होती है| उसमें ‘मैं जो चाहूँ वह करूँगा, बोलूंगा या लिखूंगा, मेरी मर्जी!’ लेकिन कुछ लोगों को मात्र १ किलोमीटर की जरासी दूरी पार कर बिना किसी विशेष प्रयास के EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का बटन दबाने में इतनी परेशानी कैसे होती है? चुनावी छुट्टी मौज-मस्ती में बिताने की दुर्बुद्धि कैसे होती है? दुखद तथ्य यह है कि, गैर-मतदाताओं में शिक्षित शहरी सबसे अग्रसर हैं। मतदाताओं का प्रतिशत यही कहता है| कभी-कभी मतदान ४०% या उससे भी कम होता है, यह हमारे लोकतंत्र के लिए चिंता और अपमान का विषय है। नव- मतदाता! अब आप ही इसपर जालिम समाधान ढूंढें और अपनी नवपरिणीत ऊर्जा का समूचा उपयोग करते हुए अपने परिवार को मतदान केंद्र तक (यदि आवश्यक हो तो बलपूर्वक) ले जाएं| ‘बून्द बून्द से ही सागर बनता है’ इस उक्तिनुसार एक एक वोट से ही वोटों का दरिया बनता है। युवकों और युवतियों, आप हमारे लोकतंत्र को नव संजीवनी प्रदान करने वाले भारतमाता का बल हैं!

मित्रों, ये बड़े गर्व की बात है कि, हमारी आश्चर्यजनक विraat चुनाव प्रक्रिया सम्पूर्ण दुनिया में छाई हुई है। विभिन्न देशों और यहाँ तक कि, अमरिका से भी विशेषज्ञ इसका अध्ययन करने आये और इसकी भूरी भूरी प्रशंसा कर गए। तो दोस्तों आप किसका इंतज़ार कर रहे हैं? १८ वा वर्ष धोखे का दर्शक नहीं, बल्कि सचमुच में आपके ‘वयस्क’ होने का दिशादर्शी है| अब आप बड़े हो गए हैं! मतदान दिवस सार्वजनिक अवकाश के साथ साथ सार्वजनिक कर्तव्य पूर्ति का भी दिन भी है। “मतदान मेरा अधिकार है और मैं लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मतदान करूंगा।” यह स्वयं से प्रतिज्ञा कीजिये| पहली बार मतदान करते समय ही इस कर्तव्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दें!

मित्रों, मतदान के बारे में इन दो उत्साहवर्धक गीतों को यू ट्यूब पर अवश्य देखें। यदि लिंक काम न करे, तो शब्द डालें और देखें।

Election awareness song composed by the HP Police band, ‘Harmony of the Pines’

Main Bharat Hoon- Hum Bharat Ke Matdata Hain | ECI Song | NVD 2023 | Multilingual Version

मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस लेख को (गाने के साथ) अधिक से अधिक शेयर करें और मतदान जागरूकता अभियान से जुड़ें। आप न केवल मतदान करें, बल्कि इस राष्ट्रीय कर्तव्य को पूरा करने में दूसरों को भी शामिल करें। लोकतंत्र की इस महान प्रक्रिया में पहली बार भाग लेने के उपरान्त, अपनी उंगली पर स्याही से बने जय चिह्न के साथ विजेता की मुद्रा में एक आकर्षक सेल्फी लें और उसे तुरंत ही सोशल मीडिया पर पोस्ट करें!

जयहिंद! जय महाराष्ट्र!

डॉक्टर मीना श्रीवास्तव

ठाणे

मोबाईल क्रमांक ९९२०१६७२११, ई-मेल – [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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