श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”


(आज  “साप्ताहिक स्तम्भ -आत्मानंद  साहित्य “ में प्रस्तुत है  श्री सूबेदार पाण्डेय जी की  एक भावप्रवण बाल कविता  “#संबंधों का मोल#। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य# #91 ☆ बाल कविता # संबंधों का मोल # ☆

किसी समय में एक गांव में,

                       रहते थे दो भाई।

प्रेम न था उनमें आपस में ,

           बढ़ी दूरियां दिल की खाई।

अलगाव हुआ था उन दोनो में,

                      आपस में बंटवारा।

झगडे़ की जड़ थी एक अंगूठी,

            उनमें हुआ विवाद करारा।

 अपना झगड़ा लेकर वे,

               पहुंचे एक संत के पास।

संत ने उनकी सुनी समस्या,

          रखी अंगूठी खुद के पास।

बोले संत आज घर जाओ,

            तुम सब कल फिर आना।

आकर सुबह सबेरे तुम सब,

       अपनी अंगूठी लेकर जाना।।

 

जाते ही घर अपने उनके,

       संत ने सुनार बुलवाया।

वैसी दूसरी अंगूठी,

      उनने सुनार से बनवाया।

  क्यों? मोल चुकाया पास से अपने,

       ये भेद कीसी की समझ न आया।

 

जब सुबह को आये दोनों भाई,

      उनको अलग अलग बुलवाया।

 पा कर  एक एक  अंगूठी ,

                      दोनों संतुष्ट हुए थे।

थे प्रसन्न दोनों भाई,

    अब आपस में मिलजुल रहते थे।

 इक दिन बातों बातों में ,

       इस रहस्य की बात खुल गई।

जब एक अंगूठी झगडे़ की जड़ थी,

        फिर कैसे दो हमें मिल गई।

 जब इस सच का चला पता,

      फिर दोनों पहुंचे संत के पास।

क्यों दो  अंगूठी दिया हमें,

      सच सच बतलाएं समझ के दास।

 उनकी बातें सुन कर के,

             बाबा जी ने बतलाया।

 #संबंधों के मोल# की बातें,

               बाबा जी ने समझाया।

सोना तो है तुच्छ चीज,

        संबंधों के मोल बहुत है।

सोने से भी बढ़ करके,

          भाई में प्रेम अधिक है।

यही बताने की खातिर,

     दो अंगूठी तुम्हें दिया था।

 जीवन में संबंधों का मतलब,

          तुम सबको बता दिया था।

सुनकर बाबा की बातें,

                दोनों संतुष्ट हुए थे।

सदा सुखी रहने का मंतर,

                  दोनों समझ गये थे।

संबंधों के मोल बहुत हैं,

      नानाजी से सुनों कहानी।

सोने-चांदी का मोल न कोई,

         ये बतलाती बुढ़िया नानी।

 क्यों लड़ते तुम गहनों खातिर,

       सब बातें संत ने समझाया।

संबंधों की कीमत उनने ,

      अपनी युक्ति से बतलाया।।

© सूबेदार  पांडेय “आत्मानंद”

18-8-2021

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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