डॉ कुंवर प्रेमिल
(संस्कारधानी जबलपुर के वरिष्ठतम साहित्यकार डॉ कुंवर प्रेमिल जी को विगत 50 वर्षों से लघुकथा, कहानी, व्यंग्य में सतत लेखन का अनुभव हैं। क्षितिज लघुकथा रत्न सम्मान 2023 से सम्मानित। अब तक 450 से अधिक लघुकथाएं रचित एवं बारह पुस्तकें प्रकाशित। 2009 से प्रतिनिधि लघुकथाएं (वार्षिक) का सम्पादन एवं ककुभ पत्रिका का प्रकाशन और सम्पादन। आपने लघु कथा को लेकर कई प्रयोग किये हैं। आपकी लघुकथा ‘पूर्वाभ्यास’ को उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, जलगांव के द्वितीय वर्ष स्नातक पाठ्यक्रम सत्र 2019-20 में शामिल किया गया है। वरिष्ठतम साहित्यकारों की पीढ़ी ने उम्र के इस पड़ाव पर आने तक जीवन की कई सामाजिक समस्याओं से स्वयं की पीढ़ी एवं आने वाली पीढ़ियों को बचाकर वर्तमान तक का लम्बा सफर तय किया है, जो कदाचित उनकी रचनाओं में झलकता है। हम लोग इस पीढ़ी का आशीर्वाद पाकर कृतज्ञ हैं। आज प्रस्तुत हैआपकी एक विचारणीय लघुकथा –“एक दूसरे गधे की आत्मकथा“.)
☆ लघुकथा – एक दूसरे गधे की आत्मकथा ☆ डॉ कुंवर प्रेमिल ☆
सुप्रसिद्ध कहानीकार कृष्णचंदर जी ने लिखी थी एक गधे की आत्मकथा। गधा हीरो बन गया था। कहानीकार ने गधे के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को आदमी से जोड़कर गधा विशेष बना दिया था।
गधे अमूमन गुरुजी की क्लास में पाए जाते हैं। बाप अपनी संतानों को गधे से संबोधित करते हैं। गधे आगे की सीढ़ी नहीं चढ़ पाए।
‘तुम तो गधे हो’ का तकिया कलाम सुनकर गधा मुस्कुरा कर आगे बढ़े जाता है।
एक दिन सुबह सुबह सब्जी भाजी लेने गया तो वहां गधे जी का जलवा देखने मिला। एक बड़ी सी भीड़ गधे साहब को घेरकर खड़ी थी। गधे साहब शान से भीड़ में गोल गोल घूम रहे थे।
गधे वाले ने गधे से पूछा सबसे बड़ा गधा कौन?
गधे ने दो तीन चक्कर लगाये और अपने मालिक के सामने खड़ा हो गया।
भीड़ तालियां बजा कर हंसने लगी। गधा भी मुस्कुरा रहा था।
गधे वाले ने पूछा-मोटा आदमी कौन?
गधे ने चक्कर लगाए और एक आदमी के सामने आकर खडा हो गया। आदमी जरूर सबसे मोटा था।
भीड ने तालियां बजा दी।
गधे वाले ने सबसे दुबला पतला कौन, सबसे कंजूस कौन पूछा जो गधे ने उन्हें भी ढूंढ निकाला।
जमकर तालियां बजती रहीं।
अब गधे वाले ने पूछा – अपनी बीबी से पिटता कौन?
अजीब दृश्य था। भीड़ तितर बितर हो गई। लोग भाग खड़े हुए। पता नहीं किसके सामने आकर गधा खड़ा हो जाए और बड़े बेआबरु होकर तेरे कूचे से निकले हम वाली स्थिति बन जाए। मैं भी पतली गली से निकल गया।
कृष्णचंद्रर जी को क्या पता था कि इतने वर्षो बाद गधे के वंश में कोई ऐसा गधा पैदा होगा जो आदमी के कान काट लेगा।
मैंने बकाया गधे साहब के हाथ जोड़े और सब्जी भाजी लेने चला गया।
उस दिन की सुबह गधे के नाम थी। सुप्रभातम।
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© डॉ कुँवर प्रेमिल
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