डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’

डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’ जी  बेंगलुरु के जैन महाविद्यालय में सह प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं एवं  साहित्य की विभिन्न विधाओं की सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में मन्नू भंडारी के कथा साहित्य में मनोवैज्ञानिकता, स्वर्ण मुक्तावली- कविता संग्रह, स्पर्श – कहानी संग्रह, कशिश-कहानी संग्रह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त आपकी एक लम्बी कविता को इंडियन बुक ऑफ़ रिकार्ड्स 2020 में स्थान दिया गया है। आप कई विशिष्ट पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आज  प्रस्तुत है, सोशल मीडिया में उलझी नई पीढ़ी के अंतर्द्वंद्व को उजागर करती  एक कहानी  फेसबुक)  

☆ कथा कहानी – फेसबुक

हेलो, कैसी हो ? अरी ! तुमने कबीर दास के रहस्यवाद को पढा है। तुम्हें पता है, हमारी परीक्षा कब है? हमें तो हमेशा पढ़ना ही है। चिंतित होकर रीना ने पूनम को कहा। बात को आगे बढ़ाते हुए कहती है, अरी! सुमन को क्या हो गया है ? क्यों वह उदास रहती है ? तुम्हें कुछ पता है ?

मुझे जहां तक पता है, राखी ने मुझसे बात करते समय सुमन का ज़िक्र किया था। लगभग चार महीने पहले सुमन के साथ एक हादसा हुआ था। तुम्हें पता है कि सुमन दिखने में तो सुंदर है ही। उसके लंबे कमर तक घने बाल, सीधी-सुडौल काया है। मानो भगवान ने उसे बहुत ही सुंदरता दी  है। सुमन को सुंदरता के साथ-साथ भगवान ने बुद्धि भी बहुत तेज़ दी है। उसे तकनीक का ज्ञान भी अत्यधिक है। वह अभियांत्रिकी की पढ़ाई कर रही है। वह हमेशा दोस्तों के बीच भी कुछ बात नहीं करती थी हमेशा  कुछ न कुछ सोचती रहती थी। वह दूसरों की तरह नहीं है। हाँ, नटखट ज़रुर है। फिर भी अपनी मर्यादा  का खयाल हमेशा रखती थी। उसने अपनी एक फोटो फेसबुक पर अपलोड किया था। उसके लिए उसे अनेक कॉमेन्टस और लाइक भी मिले थे। इसलिए वह जब भी देखो वह वोट्सएप या फिर फेसबुक के साथ ज्यादा रहना पसंद करती थी। उसकी दोस्त उसे हमेशा छेडती थी, क्या हुआ मेमसाब खेल रहे हो क्या?

अरे! नहीं मुझे खेलना पसंद नहीं है। मैं तो सिर्फ गाने सुनती हूँ। एक दिन सुमन ने फेसबुक पर गाना सुनते हुए एक रोमांस आधारित कहानी देखी और उसे वह रोमांचक होकर देखने लगी। क्यों ना हो ? उसकी उम्र का तकाज़ा भी था। वह देखने के बाद उसे भी एक बॉयफ्रेन्ड की ज़रुरत महसूस  हुई। सुमन ने अपनी सहेली सुप्रिया से अपनी मन की बात कही।

सुप्रिया ने सुमन को अपनी भावनाओं पर काबू रखने के लिए कहते हुए कहा, देखो, हमारी उम्र में यह सारी भावनाएँ सहज है। तुम सोचो क्या यह सब अभी ज़रुरी है। तुम पढ़ने में इतनी अच्छी हो मुझे लगता है कि तुम्हें आगे पढ़ने के बारे में सोचना चाहिए। जितना हो सके तुम फेसबुक मत देखना उसमें ऐसे ही कुछ न कुछ आता रहता है।

फिर भी सुमन का मन अन्य ऐसी कहानियों को पढ़ने का हो रहा था । एक दिन वह ऐसे ही बैठकर फिर से फेसबुक देख रही थी। कोई न कोई व्यक्ति उसे दोस्ती की दरख्वास्त भी भेजता रहता है। सुमन किसी अनजान व्यक्ति को भी अपना दोस्त नहीं बनाती थी। वह उनका पूरा प्रोफाइल देखकर ही उनसे दोस्ती करती थी। सुमन को सरदर्द अधिक होता था।

एक दिन उसे फेसबुक पर एक दोस्ती की दरख्वास्त आई। वह अनजान व्यक्ति ही था। उसने देखा वहां पर किसी औरत की तस्वीर थी। वह स्नायु विशेषज्ञ थी। सुमन को लगा कि अगर वह उस औरत से दोस्ती करेगी तो  उसका सर दर्द ठीक हो जाएगा। सुमन को सर दर्द की बीमारी थी। वह उस दर्द से  तंग आ चुकी थी। वह उनसे बात करेगी, और अपने सर दर्द के बारे में बतायेगी। यह सोचकर उसने दोस्ती को स्वीकार किया। फिर दोनों में बातचीत का दौर प्रारंभ हुआ। उसने बताया कि मेरा नाम टोनी है और मैं भी स्नायु का विशेषज्ञ हूँ। मैं एक पुरुष हूँ। आपकी क्या परेशानी है ? मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। इसके लिए मुझे आपको मिलना होगा। मैं लंडन में रहता हूँ।

सुमन को उसकी बातों से अजीब लगा, फिर भी उसने बात आगे बढाई। उसे लगा कि यह डॉक्टर उसकी बीमारी दूर करने में मदद करेगा।

डॉक्टर मैं आपसे मिल नहीं सकती। क्या ऐसे ही फोन पर आप मेरी बीमारी ठीक नहीं कर सकते हो?  मैं आपको मेरे सर दर्द के बारे में सब कुछ बताऊँगी। सकुचाते हुए सुमन ने डॉक्टर से कहा।

टोनी ने भी थोडी देर के लिए सोचते हुए बताया, ठीक है, मैं अपने दोस्त जो कि इसी में माहिर है उसके साथ बात  करके बताता हूँ। वैसे आप बहुत सुंदर दिखती हो। मैं एक सर्जन हूं। दर असल मेरा दोस्त इसकी दवाई देता  है। वही सारे ऐसे ही रोगी का निदान भी करता है।

सुमन ने यह सारी बात अपनी दोस्त सुप्रिया को बताई। सुप्रिया ने उसे सचेत रहने के लिए कहते हुए कहा, देखो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है। आजकल कई फेसबुक पर क्राइम सुने है। हम इस व्यक्ति पर कैसे विश्वास कर ले। तुम फिर भी सोच-समझकर काम करना। मुझे लगता है कि तुम्हें उससे बात नहीं करनी चाहिए।

सुमन ने कुछ सोचकर उस वक्त सुप्रिया की बात सुनी। उसे सही भी लगा कि, कैसे किसी पर आंख मूंदकर भरोसा कर लिया जाय। टोनी ने सुमन से फेसबुक पर उसका फोन नंबर मांग लिया था। सुमन ने भी बिना सोचे-समझे अपने फोन नंबर उसे दिया था। उसके बाद ही वे दोनों बात कर रहे थे।

सुमन और टोनी के बीच फिर से बातचीत का दौर प्रारंभ हुआ। दोनों के बीच धीरे-धीरे प्यार भी हुआ।

टोनी ने सुमन से कहा कि देखो, अगर सुप्रिया नहीं चाहती कि हम दोनों बात करें तो उसे बताना मत कि हम दोनों बात कर रहे है। तुम मुझसे वादा करो कि तुम अपनी सहेली को नहीं बतााओगी। वह जिद्द पर अड गया।

ठीक है बाबा। नहीं बताऊँगी, बस। कहते हुए सुमन मुस्कुराने लगी।

सुमन भी अकेलापन काटने के लिए कोई साथी मिल गया था। टोनी अपनी जिंदगी की दास्तां सुमन को बताते हुए रोने लगा। सुमन को अच्छा नहीं लगा, फिर भी उसे सांत्वना के दो शब्द बतायें। टोनी ने जिंदगी में बहुत दुःख झेले थे।

टोनी ने अपनी जिंदगी के पहलू को बताते हुए सुमन से कहा कि, मेरी एक नौ साल की बच्ची है। मेरी पत्नी दो साल पहले एक एक्सीडेन्ट का शिकार हो चुकी है। मुझे उसकी याद आती है लेकिन मैंने हकीकत को स्वीकार कर लिया है।

सुमन को टोनी की बात सुनकर लगा कि उसे कुछ बाते स्पष्ट कर देनी चाहिए ताकि बाद में कोई भी परेशानी न हो। देखिए मुझे आपसे कह देना ठीक होगा कि, मैं आपकी पत्नी नहीं बन सकती हूं। हमारा परिवार रूढ़िग्रस्त है। उसे छोडकर आना मुश्किल है। माँ और पिताजी कई मामले में सख्त है। फिर भी मैं अपने अभिभावकों से बहुत प्रेम करती हूँ। क्षमा कीजिएगा, मैं आपके साथ नहीं आ सकती हूं। कहते हुए सुमन लंबी सांस लेती है।

ठीक है, कोई बात नहीं है। लेकिन तुम मेरी दोस्त तो बन ही सकती हो। अच्छा, मैं बाद में बात  करुँगा। मुझॆ कुछ काम है। यहां पर फिलहाल एक ऑपरेशन करना है। कहते हुए टोनी ने फोन काट दिया।

सुमन को भी वह व्यक्ति अच्छा लगने लगा था। दोनों फोन पर ही रोमांटिक बातें भी करते थे। सुमन को अपनी मन की भावनाओं को पूरी करने का मौका भी मिल गया था। सुमन ने सुप्रिया को अब तक यह सारी बातें नहीं बताई थी। अचानक एक दिन उसे लगा कि टोनी ने कभी भी उससे रोग के बारे में बात नहीं की है। अधिकतर सर्जन के पास ऐसे बात करने का समय भी नहीं होता।  सुमन ने बहुत बार पूछने की कोशिश भी की थी। अब उसे शक हुआ और एक दिन ऐसे ही उसने अपनी खास सहेली राखी से यह सारी बातें बताई।

राखी ने भी सुमन को समझाने की कोशिश करते हुए कहा, देखो ऐसे बहुत लोग है जो दूसरों को धोखा देते है। अच्छा तुम सुनो! मेरी एक सहेली दुबई में रहती है। अब किसी ने ऐसे ही उससे फोन पर बात की थी। वह लडका युवा भी था और वह बहुत खूबसूरत भी था। दोनों फोन पर बातचीत करने लगे। एक  हद तक रोमांटिक बातें भी करते थे। उस लडके ने जिसका नाम उसने अमन बताया था, उसने हमारी सुंदरी के कुछ चित्र मांगे। इस गधी ने उसके प्यार में भेज दिए। अमन उसका गलत फायदा उठाने लगा। जब सुंदरी ने इस बारे में मुझे बताया तो मुझे बहुत गुस्सा आया। पहले तो मैंने सुंदरी को डांटा। भगवान ने उसे सुंदरता ही दी है, दिमाग नहीं दिया।  अब तुम? पता नहीं आप लोगों को क्या हो गया है ? क्यों आप लोग बिना मर्द के जिंदगी नहीं गुज़ार सकती? बडी मुश्किल से सुंदरी ने अमन से पीछा छुडवाया है। प्लीज मेरी मां, अब तुम कुछ ऐसा मत करना कि बाद में परेशानी हो।

मैंने भी ऐसे बहुत लोगों को सुना है। सुमन ने कुछ सोचकर राखी से कहा कि अनुमान तो… उस व्यक्ति पर मुझे भी है। क्या तुम उसे फोन करके सच्चाई पता लगा सकती हो। उस व्यक्ति ने मेरे पूछने पर कई सवालों का जवाब नहीं दिया है। फोन नंबर तो लंडन का ही है। अगर हो सके तो अन्य चीजे भी मालूम कर लेना। वह तुम्हारे बारे में नहीं जानता।

अचानक  उसका मेसेज आता है,  मेरा नाम टोनी सेम है और मै न्यूरोलोजि के विभाग, हेल्थ अस्पताल में काम करता हूं। उसमें उसने अपना पूरा नाम और अस्पताल का पता दिया था फिर भी सुमन को  बुरा लगता है। वह उसकी बात का विश्वास नहीं कर पाती है।  इतना कहने के बावजूद सुमन उस पर विश्वास नहीं कर रही है।  सुमन ने तुरंत वह मेसेज राखी को भेजा।

राखी ने तुरंत पता लगाकर बताया कि टोनी नाम का कोई भी डॉक्टर वहां पर काम नहीं करता है। कोई भी सर्जन टोनी के नाम से मौजूद नहीं है।सुमन ने जो तस्वीर टोनी की भेजी थी, वह तो कोई ओर ही  है। राखी ने यह भी बताया कि वहां पर एक हेल्थ सेन्टर है, लेकिन वहां पर भी इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं है। देखो, सुमन तुम उसका नंबर तुरंत ब्लोक कर देना। पता नहीं, कौन है यह व्यक्ति ? बुरी फँसोगी।

सुमन के मन में राखी की बातें ही गूंज रही थी। उसे भरोसा ही नहीं हो रहा था कि वह व्यक्ति किसी को धोखा दे सकता है। बार-बार उसका मन उससे बात करने को कर रहा था। एक दिन सुमन ने केविन को मेसेज करके उसके बारे में जानना चाहा। उसके बाद तो उस व्यक्ति ने सुमन को मेसेज करना और फोन करना छोड दिया। फिर से सुमन  अकेलापन महसूस करने लगी।

एक दिन अचानक एक फोन आया और कहा कि मैं आपके शहर जयपुर में आया हूँ। आपसे मिलना चाहता हूँ। सुमन भी टोनी से मिलने गई। वह देखना चाहती थी कि कौन है वह जिससे वह बात करती थी। बडी उत्सुकता से वह उसे देखती है, तो  हैरान रह जाती है। उसके सामने काले रंग का बदसूरत व्यक्ति खडा पाती  है। सुमन ने जब भी फोन पर उसे देखा बहुत ही सुंदर नवयुवक था। वह उसे देखती ही रह जाती है। उसका नाम टोनी नहीं, बल्कि डी मार्टीन था। वह बताता है कि मै माफिया से हूं। मैंने जो आपसे कहा वह सब गलत था। क्षमा करें। मेरे काम में शादी नाम की कोई गुंजाइश ही नहीं है।

सुमन  उसकी सारी बातें आराम से सुनती है। उसके साथ एक कप चाय पीकर वहाँ से निकल आती है। वह घबराते हुए  राखी से कहती है, अरी! तुमने सही कहा था। यह आदमी तो माफिया से जुडा है और देखो, उसने मुझसे अपनी पहचान छिपाई। अब तो मुझे डर लगने लगा है कि मेरे साथ यह व्यक्ति कुछ गलत तो नहीं   करेगा। उसके पास मेरे कुछ फोटो भी है। सुमन ने घर में भी किसी को यह बात नहीं बताई थी।

राखी ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, चिंता मत करना और अगर उसका कोई भी मेसेज या फिर फोन आये तो जवाब मत देना। शुक्र कर भगवान का की वो भला आदमी ही था जिससे तुम मिलने गई थी। उसने तुम्हें साफ़- साफ़ बता दिया और तुम्हें छुआ तक नहीं। वरना दुनिया बहुत खराब है। कुछ भी हो सकता है। तुम्हारी बात सुनकर लगता नहीं है कि वह  फेसबुक की फोटो का गलत इस्तेमाल करेगा। फिर भी तुम सचेत रहना। सुमन ने इस हादसे के बाद फेसबुक देखना ही बंद कर दिया था। सुप्रिया को भी कुछ नहीं बताया। उसने यह बात स्वयं तक ही सीमित कर दी थी।

कई दिनों बाद राखी को सुमन की याद आ गई। उसने सुमन को फोन करते हुए उससे टोनी के बारे में पूछा कि उसने बाद में कोई ऐसी-वैसी  हरकत तो नहीं की। तुरंत सुमन एक मिनट के लिए कुछ बाद नहीं करती। राखी समझ गई कि  सुमन परेशान हो गई है। उसने दो बार हैलो….हैलो….सुमन आर यू देयर?

हाँ, बताओ। अब तो सब समाप्त … समाप्त हो चुका है। मैं उस हादसे को याद नहीं करना चाहती हूँ। तुम भी उसके बारे में मेरे साथ या किसी और के साथ ज़िक्र नहीं करना। ये हादसा कितनी लडकियों के साथ हुआ होगा। कितनी लड़कियां मेरी तरह परेशान हुई होगी। सच में आजकल मुझे फेसबुक पर से विश्वास ही उठ गया है। कहते हुए सुमन फिर से थोड़ी देर के लिए चुप हो जाती है।

अरी! तुम भी ना फिर उसी बात पर सोचने लगी। गलती हर इन्सान से होती है। सच बताऊँ, इन्सान ही गलती कर सकता है। कहते हुए राखी उसे समझाने की कोशिश करती है। देखो, फेसबुक का ऐप जिसने भी बनाया था, उसने यह तो नहीं सोचा होगा कि लोग इसका गलत इस्तेमाल करेंगे। उसने तो सबके भले के बारे में  सोचकर ही बनाया

था। फेसबुक के द्वारा कई लोगों का अच्छा भी हुआ है। हम एक पहलू को देखकर यह तो नहीं कह सकते कि ऐसे ऐप गलत है। अच्छा सुनो, तुम्हें तो पता है कि जिंदगी में दो पहलू होते है। अच्छा और बूरा। हर कोई व्यक्ति  की सोच बुरी हो यह नहीं कह सकते। मतलब यह जिंदगी मिश्रित है। अब एक लेखिका है जिनको मैं अच्छी तरह से जानती हूं। वह अपनी पहचान का श्रेय सिर्फ फेसबुक, इन्स्ट्राग्राम जैसे ही ऐप को देती है। वह अपनी रचना लोगों के समक्ष रखती गई। लोग उसे पहचानने लगे। मुझे लगता है कि हमें किसी ऐप का इस्तेमाल किसलिए करना है, उसकी खबर होनी चाहिए। हाँ, मानती हूँ कि आज कई नवयुवक भटक गए है। भावनाओं के समुंदर में बहकर कोई भी फैसला नहीं लेना चाहिए। अब  इसके बारे में सोचना छोडकर जिंदगी में आगे क्या करना है, उसके बारे में सोचना   है। किसी भी हादसे से इन्सान की जिंदगी रुकती नहीं बल्कि इन्सान उससे सीख लेकर आगे बढना चाहिए ………समझी? अरी! तुम तो फिर भी नसीबवाली हो कि उस इन्सान ने तुम्हें बाद में परेशान नहीं किया। वरना तो लोग इतने परेशान कर देते है, व्यक्ति आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है। अच्छा, अब तुम पढाई के बारे में ध्यान      दो। यह सब तो आजकल एक आम बात हो गई है। अब मैं फोन रखती हूं, ज्यादा इस बारे में चिंता करने की ज़रुरत नहीं है। समझी….मेमसा’ब।  जैसे ही वह बात को खत्म करती है, तुरंत पूनम का कॉल आता है। बात ही बात में वह सुमन के बारे में पूनम को बताती है।

अच्छा इतना सब हो गया और हमें कुछ भी नहीं पता है। हम तो सिर्फ कहने के लिए दोस्त रह गए है। सुनो, तुम्हें यह सब कैसे पता चला ? माना कि अभी लिविंग टुगेदर का ज़माना है। फिर भी यह तो गलत ही है। बहुत आश्चर्य के साथ रीना अपनी सहेली पूनम को पूछती है।

मुझे राखी ने कल बताया कि सुमन के साथ सही नहीं हुआ। उसने भी तुम्हारी तरह ही कहा। एक बात बताऊँ, मुझे लिविंग टुगेदर भी सही नहीं लगता है। लडका- लडकी शादी से पहले साथ में रहते है, अगर सही नही लगा तो छोड देते है। उससे तो अच्छा है कि लडकी को मात्र एक लडके के साथ रहना चाहिए। अपने मन की किसी भी इच्छा को पूरी करने के लिए ऐसी राह अपनाना ठीक नहीं है। जब मैंने राखी  से यह बात सुनी तो बहुत बुरा लगा था।

दुनिया में ऐसा भी होता है। हमें बहुत सचेत रहना चाहिए। यह हमारी सुमन के साथ ही क्यों हुआ ? अरी! तुम्हें पता है आज लोग न उम्र देखते है ना ही और कुछ। फेसबुक पर तो उम्र भी गलत होती है। सच में पता नहीं लोगों को क्या हो गया है ? काश उसने हमसे बात की होती? पता है तुम्हें शायद लडकी को अपनी मर्यादा में रहने के लिए हमारे पूर्वज कहते थे। उनकी बात भी सही है। हम क्रोध में आकर जनरेशन गेप कहकर बडो की बात का हंमेशा गलत मतलब निकालकर उन्हीं को कोसते है।  अब, होनी को तो कोई टाल नहीं सकता। बाद में हम किस्मत को दोषी भी ठहराते है। जो भी है यह हमारी सुमन के साथ ऐसा नहीं होना था। कहते हुए रीना अपनी दोस्त से फोन पर विदा लेते हुए कहती है, अभी हमें बहुत पढना है। परीक्षा नज़दीक है, तुम पढाई पर ध्यान देना। सुमन से बाद में मिलकर बात करते है।

संपर्क:

©  डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’

लेखिका व कवयित्री, सह प्राध्यापिका, हिन्दी विभाग, जैन कॉलेज-सीजीएस, वीवी पुरम्‌, वासवी परिसर, बेंगलूरु।

ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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