श्री विवेक आहूजा
( श्री विवेक आहूजा जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आप दवा व्यवसाय से जुड़े हैं एवं कहानी लेखन आपकी अभिरुचि है। आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं उनकी एक बाल कथा – ” मित्रता”।
☆ बाल कथा – मित्रता ☆
आज सुबह विनय ने काफी जल्दी मेडिकल की दुकान खोल ली थी और लगातार कई डॉक्टरों के दवाई लेने आने के कारण वह काफी थक भी गया था तभी उसके सामने उसका हमउम्र चश्मा लगाए हुए एक व्यक्ति अपने पूरे परिवार सहित खड़ा हो गया एक बार को तो विनय भौचक्का रह गया और उछलकर अपने मित्र जीके (गोपाल कृष्ण) को गले लगा लिया। तदुपरान्त वह जीके को अपने निवास पर लाया। अपनी पत्नी व बच्चों से जीके का परिचय करवाया।
विनय की माता जी व पिताजी जीके से भलीभांति परिचित थे। जीके ने तुरंत ही विनय की माता जी का पिता जी के चरण स्पर्श करें वह उनका आशीर्वाद लिया ।सभी लोग परस्पर एक दूसरे को अपना परिचय दे रहे थे और बातचीत कर रहे थे तभी जीके के छोटे पुत्र ने जीके से कहा पापा आपने हमें कभी विनय अंकल के बारे में नहीं बताया कि वह आपके इतने घनिष्ठ मित्र हैं। यह सुनकर जीके को कोई जवाब देते नहीं बन रहा था।
तभी विनय ने बीच में बात काटते हुए जीके के पुत्र से कहा कि आप हमारी मित्रता के बारे में जानना चाहते हो। सभी बच्चों ने विनय को चारों ओर से घेर लिया और अपने बारे में बताने का अनुरोध करने लगे।
विनय ने जीके की अनुमति से सुनाना शुरू किया यह उन दिनों की बात है जब विनय नवी कक्षा का छात्र था और पारकर कॉलेज के हॉस्टल में रहता था। रोज की तरह सुबह तैयार होकर वह कॉलेज गया और कॉलेज के उपरांत जब वापस हॉस्टल में आया तो देखा कि एक तगड़ा सा लड़का विनय की चारपाई पर बैठा हुआ है। दो व्यक्ति भी उस लड़के के साथ मौजूद थे ।उन्होंने विनय से पूछा कि आप बिलारी रहते हो तो विनय ने तुरंत हामी भर दी उन्होंने बताया कि यह लड़का उनका छोटा भाई है। जिसका नाम जीके है और यह अब तुम्हारे साथ हॉस्टल में रहेगा जीके भी तब नवी कक्षा में थे।
यह जीके का विनय से पहला परिचय था ।भाइयों के जाने के पश्चात जीके और विनय परस्पर काफी देर तक बातें करते रहे। हॉस्टल में जीके और विनय को एक ही कमरा एलॉट हुआ तथा उनकी अलमारी भी एक थी।
कुछ समय में ही जीके और विनय बहुत ही घनिष्ट मित्र हो गए अब चाहे सुबह उठना हो, नाश्ता करना हो, पढ़ाई करनी हो या कॉलेज जाना है। दोनों संग संग ही जाते थे क्योंकि जीके का गांव बिलारी के नजदीक था। लिहाजा बिलारी से मुरादाबाद व मुरादाबाद से बिलारी आना जाना है सभी संग संग ही होता था ।आपसी सौहार्द के बीच जीके और विनय ने नवी कक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली।
जीके के माता पिता व विनय के माता पिता दोनों की परीक्षा फल से काफी संतुष्ट थे । नवी कक्षा के बाद अब दसवीं कक्षा में जीके और विनय पर बोर्ड परीक्षाओं का काफी दबाव था। जीके के भाई ने 10वीं व 12वीं की परीक्षा में कॉलेज टॉप किया था। लिहाजा जीके पर भी अच्छे नम्बर लाने के लिए काफी दबाव था। जीके समय-समय पर अपने भाई से बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर लाने हेतु टिप्स ले लिया करते थे जीके और विनय दोनों ने जल्द ही अपना हाईस्कूल का पूरा सिलेबस कर लिया था और बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए थे। उन दिनों प्री बोर्ड का चलन नहीं था लिहाजा छमाही परीक्षा ही प्री बोर्ड की तरह होती थी। छमाई परीक्षाओं में पूरा कोर्स आता था विनय और जी के दोनों अपनी अपने क्लास टीचर से छमाही परीक्षा के टाइम मिलने गए और उनसे पूछा की इस अर्धवार्षिक परीक्षा का क्या महत्व है तब उनके क्लास टीचर ने कहा कि यह परीक्षा सिर्फ प्रैक्टिस के लिए है इसके नंबर कहीं नहीं जुड़ेंगे शायद इसका रिजल्ट भी ना आए। अब जीके और विनय दोनों क्लास टीचर से बात कर कर हॉस्टल आ गए और यह सोचने लगे की अर्धवार्षिक परीक्षा दे या ना दे पहले तो दोनों में यह विचार किया कि चलो परीक्षा देने में क्या हर्ज है और इस प्रकार पहला पेपर दे दिया परंतु पहला पेपर देने के बाद दोनों ने सोचा कि इस प्रकार तो काफी समय नष्ट हो जाएगा हम परीक्षा ना दे करके घर पर ही तैयारी करें तो ज्यादा बेहतर होगा । हॉस्टल के वॉर्डन स्कूल के टीचर आदि जितने भी शुभचिंतक थे। उन लोगों ने विनय और जीके को बहुत समझाया कि यह परीक्षा तुम्हारे फायदे के लिए ही है लेकिन विनय और जीके मानने को तैयार नहीं थे । उनका तर्क था कि हम घर पर ज्यादा बेहतर तरीके से तैयारी कर सकते हैं इस प्रकार विनय और जीके ने अगला पेपर छोड़ दिया ।
अब विनय और जीके ने सोचा की घर जाकर तो तैयारी करनी है तो पहले आज चलो पिक्चर देख लेते हैं और दोनों पिक्चर देखने चले गए अगले दिन विनय और जीके बिलारी आ गए वहां से जीके अपने गांव चले गए घर पहुंचकर विनय ने अपनी माता जी को सारी बात बताई कि वह अर्धवार्षिक परीक्षा नहीं दे रहे हैं और घर पर रहकर ही बोर्ड एग्जाम की तैयारी करेंगे विनय की बात सुनकर विनय की माताजी चुप रही और कुछ ना बोली जब दोपहर को विनय के पिता जी घर आए तो उन्होंने विनय के द्वारा कही गई सारी बात विनय के पिताजी को बताई अब यह बात चल ही रही थी किसी ने दरवाजा खटखटाया और विनय ने फौरन दरवाजा खोल कर देखा कि जीके व उसके दोनों बड़े भाई विनय के घर आए हुए थे । अब तो विनय के पिताजी व जीके के दोनों भाइयों ने मिलकर विनय और जीके दोनों की बहुत डांट लगाई और उन्हें तुरंत वापस जाकर अर्धवार्षिक परीक्षा में शामिल होने के लिए कहा अभी तो घर में विनय और जीके ने पिक्चर वाली बात नहीं बताई थी वरना क्या होता कहना मुश्किल था। घरवालों के हुक्म के मुताबिक विनय और जीके दोनों वापस हॉस्टल आ गए और अगले दिन की अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी करने लगे।
सुबह जब क्लास टीचर वार्डन आदि लोगों ने विनय और जीके को देखा तो वह मन ही मन मुस्कुराए और उन्हें समझते देर न लगी के कान कहां से उमठे गए हैं । कुछ दिन तक तो विनय और जीके को बड़ा असहज लगा लेकिन बाद में जीवन चर्या आराम से बीतने लगी जल्द ही अर्धवार्षिक परीक्षा का परिणाम भी आ गया विनय व जीके के सभी विषयों में नंबर अच्छे थे सिवाय उन दो पेपरों के जिनमें वह अनुपस्थित रहे थे । इसके पश्चात दोनों अपने-अपने घर आ गए वह बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने लगे। धीरे-धीरे बोर्ड की परीक्षाएं नजदीक आ रही थी और आखिर वह दिन भी आ गया जब बोर्ड की परीक्षाएं विनय और जीके को देनी थी। बोर्ड की सभी परीक्षाएं विनय और जीके की बहुत अच्छी हुई बोर्ड की परीक्षाओं के पश्चात विनय और जीके दोनों अपने-अपने घर आ गए और बोर्ड की परीक्षा का परिणाम का इंतजार करने लगे।
उस समय इंटरनेट नहीं हुआ करता था इसलिए अखबारों में ही परीक्षा का परिणाम आया करता था विनय प्रथम श्रेणी में बोर्ड की परीक्षाओं में पास हुआ जिसकी सूचना विनय के ताऊ जी स्वयं लेकर चंदौसी से आए। विनय को जीके के परिणाम की भी चिंता थी ।उसने अपने व्यक्तिगत सूत्रों से पता लगवाया की जीके का परीक्षा परिणाम क्या रहा तो पता चला कि जीके भी प्रथम श्रेणी में पास हुआ है। 8 दिनों बाद जीके और विनय दोनों अपनी मार्कशीट लेने कॉलेज साथ-साथ आए मार्कशीट आ चुकी थी। विनय और जी के दोनों मार्कशीट लेने तुरंत अपने क्लास टीचर के पास पहुंचे तो पता चला कि विनय के 65% वह जीके के 75% नंबर आए थे।
यह यह देख कर विनय का फ्यूज उड़ गया और वह सोचने लगा की जीके ने और उसने दोनों ने तैयारी तो साथ साथ की है लेकिन नंबरों में इतना फर्क कैसे 8 या 10 नंबर ज्यादा होते तो बात अलग थी मगर विनय ने जीके से उस समय कोई बात नहीं की और दोनों चुपचाप वापस बिलारी आ गए। घर पर सब बहुत खुश थे । विनय और जीके के माता पिता उनकी परफॉर्मेंस से अत्यंत प्रसन्न थे परंतु विनय के मन में यह सवाल बार-बार खाए जा रहा था कि जीके के नंबर इतने अधिक कैसे आए।
इसी दौरान जीके के यहां एक प्रोग्राम का निमंत्रण विनय के घर आया और जीके ने विनय से जरूर आने का वादा किया। जीके के घर प्रोग्राम से पूर्व भी पहुंच गया। वहाँ उनके माता-पिता का आशीर्वाद लिया। जीके का घर गांव में बड़ा आलीशान बना हुआ था । जीके अपने घर की छत पर विनय को ले गया। वहां जी के और विनय दोनों चुपचाप बैठे रहे। जीके विनय की प्रश्न सूचक दृष्टि भाप गया था और उसने विनय से पूछा कि तुम मेरे इतने अच्छे नंबरों से प्रसन्न नहीं हो।
विनय ने जीके से कहा ऐसी कोई बात नहीं। जीके ने विनय से कहा मैं तुम्हारा मित्र हूं अगर कोई बात है तो मुझसे बेहिचक पूछो। तब विनय ने जीके के ऊपर प्रश्नों की बौछार कर दी। जिसक सार यह था की जब वह दोनों साथ-साथ पढ़े साथ साथ घूमने और साथ साथ ही तैयारी करें तो दोनों के नंबरों में इतना फर्क कैसे? जीके यह सुन थोड़ी देर शांत रहे फिर उन्होंने बताया कि वह सिलेबस में प्रयुक्त गणित व साइंस की किताबों के अतिरिक्त अन्य किताबों से भी पढ़ाई किया करते थे । जिससे कि अच्छे नंबर आ सकें विनय को जीके की यह बात सुनकर बहुत गुस्सा आया और विनय ने जीके से कहा कि यह बात तुम्हें मुझे बतानी चाहिए थी कि तुम अन्य लेखकों की किताबें भी पढ़ते हो। जीके ने तुरंत अपनी गलती स्वीकारी व भविष्य में कभी इस प्रकार की प्रतिस्पर्धा ना करने की कसम ली। काफी देर आपसी बहस के बाद दोनों इस नतीजे पर पहुंचे की 11वीं कक्षा में एक जैसे विषय होने पर प्रतिस्पर्धा तो होगी और मित्रता बचानी मुश्किल हो जाएगी अतः 11वीं में विनय और जीके ने अलग अलग विषयों का चयन किया इस प्रकार दोनों अपने-अपने विषयों में अपनी-अपनी तैयारी करते थे ।इस प्रकार दोनों ने 12वीं में गुड सेकंड डिवीजन से पास की विनय तत्पश्चात चंदौसी व जीके आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ चले गए विनय और जीके का संपर्क काफी टाइम तक बना रहा। परंतु अब की बार 10 वर्षों के पश्चात मुलाकात हुई यह कहकर विनय शांत हुआ और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सभी बच्चे विनय और जीके की कहानी सुनकर खुश हुए। तत्पश्चात जीके ने विनय से विदा ली और जल्दी आने का वायदा किया।
© विवेक आहूजा
तिलक अस्पताल, बिलारी जिला मुरादाबाद
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