श्री अजीत सिंह
(हमारे आग्रह पर श्री अजीत सिंह जी (पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन) हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए विचारणीय आलेख, वार्ताएं, संस्मरण साझा करते रहते हैं। इसके लिए हम उनके हृदय से आभारी हैं। आज प्रस्तुत है व्यंग्य कथा ‘किस्सा हरफूल, मनफूल और एक खूंखार कुत्ते का …’। हम आपसे आपके अनुभवी कलम से ऐसे ही आलेख समय समय पर साझा करते रहेंगे।)
☆ कथा कहानी ☆ किस्सा हरफूल, मनफूल और एक खूंखार कुत्ते का … ☆ श्री अजीत सिंह ☆
हरफूल सिंह और मनफूल सिंह को जूनियर बेसिक शिक्षक के रूप में हरियाणा के फतेहाबाद जिले में एक दूरदराज गांव के सरकारी स्कूल में पहली नियुक्ति मिली।
वे अपना पहला वेतन प्राप्त करने पर रोमांचित थे। उन्होंने इस अवसर को गांव की बस्ती से दूर खेतों में शराब की बैठक के साथ मनाने का फैसला किया। पकौड़े और नमकीन के साथ शराब का दौर चला। रात हो चली थी जब उन्होंने गांव में अपने किराए के मकान में लौटने के बारे में सोचा।
जैसे ही वे गांव की परिधि के पास पहुंचे, हरफूल को उस खूंखार कुत्ते की याद आ गई जो अक्सर राहगीरों पर हमला करता था। उसने घर के लिए एक लंबा वैकल्पिक मार्ग प्रस्तावित किया। नशे में धुत्त मनफूल ने सुझाव को कायरता की निशानी बताते हुए खारिज कर दिया। बाहों में बाहें डाल उन्होंने सीधे छोटे मार्ग से ही घर जाने का फैसला किया। वे एक लोकधुन भी गुनगुना रहे थे, “तेरी आख्यां का यो काजल, मनै करै सै गोरी घायल”…
वे बहुत दूर नहीं गए थे कि खूंखार कुत्ता भौंका और अजनबियों की ओर भागा। डर के मारे मनफूल पीछे की ओर भाग गया लेकिन हरफूल के पास कोई समय या विकल्प नहीं था क्योंकि कुत्ता लगभग उस पर आन चढ़ा था। उसने बस अपने कंबल की बेतरतीब ढंग से तह बिठाई और उसे अपने सीने के करीब एक ढाल के रूप में पकड़ लिया। कुत्ता हरफूल की छाती पर चढ़ गया और उसके चेहरे पर हमला करने वाला था कि हरफूल ने कुत्ते से बचाव के प्रयास में, अपना कंबल कुत्ते के सिर पर फैंकते हुए उसे कस कर पकड़ लिया। हरफूल और कुत्ता दोनों एक-दूसरे से खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हरफूल को डर था कि कहीं छूटने पर कुत्ता हमला न कर दे।
दोनों अपने-अपने तरीके से अजीब सी आवाज़ें भी निकाल रहे थे। शोर सुनकर इलाके के लोग बाहर आ गए। हरफूल को अपने नए स्कूल शिक्षक के रूप में पहचानते हुए, उन्होंने उसे कुत्ते को छोड़ने के लिए कहा। हरफूल प्रतिशोध के डर से कुत्ते को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। लोगों ने कहा कि उनके पास लाठियां हैं और वे कुत्ते को हमला नहीं करने देंगे। कुत्ते के साथ काफी देर गुत्थमगुत्था होने के बाद आखिर हरफूल ने उसे छोड़ दिया और कुत्ता वाकई दुम दबा कर भाग गया। हरफूल ने राहत की सांस ली पर तब तक उसका शराब का नशा पूरी तरह से उड़ चुका था।
कुत्ते ने पार्टी को खराब कर दिया था इसलिए दोनो दोस्तों ने अगले दिन उसी स्थान पर दोबारा जश्न मनाने का फैसला किया।
जैसे ही वे खेत में डेरा जमा कर बैठे, मनफूल ने हरफूल के कंबल पर कुछ गंदगी देखी।
“ओह! बेड़ा गर्क।
यह कुत्ते की पॉटी है जो निश्चित रूप से पिछली शाम कुश्ती मैच में आई होगी”, हरफूल ने कहा और वह अपने कंबल से सूखी गंदगी को दूर करने लग गया।
“हरफूल, आप इतने निश्चित नहीं हो सकते। यह पॉटी तुम्हारी भी हो सकती है,” मनफूल ने कहा और वे दोनों जोरदार हंसी के ठहाकों में डूब गए। अपने पहले वेतन चेक का जश्न मनाने के लिए एक डबल पैग और जो लगा लिया था।
कुछ देर बाद वे वही लोकधुन भी गुनगुना रहे थे, “तेरी आख्यां का यो काजल, मनै करै सै गोरी घायल”…
(शिक्षक दिवस पर एक अध्यापक मित्र द्वारा सांझे किए अनुभव पर आधारित लेख)
श्री अजीत सिंह
पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन हिसार।
मो : 9466647034
(लेखक श्री अजीत सिंह हिसार स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं । वे 2006 में दूरदर्शन केंद्र हिसार के समाचार निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए।)
≈ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈