श्री हरभगवान चावला
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।)
आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – नए ज़माने की दुआ।)
☆ लघुकथा – नए ज़माने की दुआ ☆ श्री हरभगवान चावला ☆
“इस घर में कुलदीपक पैदा हुआ है, इस साधु को भी कुछ बधाई दो बच्चा!” गेरुए वस्त्र धारण किए एक बाबा ने घर के भीतर प्रवेश करते हुए कहा। नवजात शिशु के पिता ने पूछा, “आपको कैसे पता चला बाबा कि लड़का हुआ है?”
“तुम्हारे घर के दरवाज़े पर नीम के पत्ते और खिलौने टँगे हैं। बाबा का भी मुँह मीठा कराओ।”
नवजात का पिता भीतर से मिठाई ले आया, साथ ही दो सौ का एक नोट भी बाबा की हथेली पर रख दिया। बाबा ने ख़ुश होकर दुआ दी, “ईश्वर बच्चे और उसके माँ-बाप की उम्र लम्बी करे। मेरी दुआ और आशीर्वाद है कि बच्चा बड़ा होकर बाहर के देश में जाए।”
“यह कैसी दुआ है बाबा, वह बाहर क्यों जाए भला?” बच्चे के बाप ने जैसे नाराज़ होते हुए कहा।
“तुम्हें बुरा लगा हो तो क्षमा करना बच्चा, पर आजकल तो हर युवा बाहर मुल्क में जाने की जीतोड़ कोशिश कर रहा है। कितने युवा हैं जो बाहर जाने में सक्षम होने के बावजूद इस देश में रहना चाहते हैं?”
बाबा चला गया था पर बच्चे का पिता समय के साथ आकार लेने वाली भविष्य की कई दुआओं के बारे में एक साथ सोच गया- बच्चा नशे और माफ़ियाओं से बचा रहे, बच्चा धर्मांध भीड़ का हिस्सा होने से बचा रहे, उसके बड़े होने तक रोज़गार बचे रहें, पीने के लिए पानी बचा रहे… और… और… सर्दी का मौसम था और बच्चे का पिता पसीने से भीग गया था।
© हरभगवान चावला
सम्पर्क – 406, सेक्टर-20, हुडा, सिरसा- 125055 (हरियाणा) फोन : 9354545440
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈