श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – अनमोल यादें ।)
☆ लघुकथा # 34 – अनमोल यादें ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
जब तुम्हारे पास कुछ काम नहीं रहता तो अलमारी को खोल कर अपनी साड़ियों देखती हो और उन्हें पहनती भी हो बच्चों की तरह अपने पूरे गहने भी पहन कर देखती हो?
बाहर नहीं जाती लेकिन घर में तुम इतना तैयार होती हो ऐसा क्यों? बाहर भी पहन कर जाया करो?
ओ मेरे स्वामी! प्यारे पतिदेव रवि आप हम नारी के मन की वेदना को समझ नहीं पाओगे?
यह बातें मुझे भी अब इस बुढ़ापे की उम्र में समझ में आ रही है। बाहर सब लोग मुझे देखकर हसेंगे ।
इस उम्र में भी देखो बुड्ढी को ! कितना श्रृंगार किया है?
जेवर और साड़ी के साथ मायके की याद जुड़ी है।
हमारे मां पिताजी हमारे साथ न रहकर भी साथ है। ये भले किसी काम के जेवर तुम्हें नहीं लगते हैं, पर यह सब मेरे लिए अनमोल यादें है।
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈