श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – अंधी दौड़।)
☆ लघुकथा # 59 – ।। बड़ी अदालत।। ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
गीता आज सुबह-सुबह कहां जा रही हो इतनी जल्दी-जल्दी तैयार होकर मां ने कहा।
आज हमें हाई कोर्ट चलना है । देखो क्या होता है भैया ने तो धोखे से सब कुछ तुमसे लिखा ही लिया और बाद में तुम्हें सड़क पर छोड़ दिया?
काश तुमने भैया पर ज्यादा विश्वास न किया होता ?
इतना बड़े मकान में पांच किराएदार थे।
किराए से भी तुम आराम से रह सकती थी लेकिन पिताजी की मृत्यु होते ही तुमने सब कुछ भाई को दे दिया।
मां के आँसू आज रुकने का नाम नही ले रहे थे ।
लाडो गुड़िया रानी कुछ मिल जाए तो तुम पर मैं बोझना न बनूंगी । इस उम्र में बेटी के घर में रह रही हूं। जीवन भर पानी नहीं पिया । काश ! यह बात मैं पहले ही समझ जाती कि मुझे अपनी बेटी को भी उसका हक देना है।
कमल जी बेटी को देखती है और उसे ढेर सारा आशीर्वाद देते हुए कहती हैं – बड़ी अदालत भगवान है। वह सब देख रहा है, अवश्य न्याय करेगा।
.© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈