डॉ उमेश चन्द्र शुक्ल
…. तो ज़िंदगी मिले
(प्रस्तुत है डॉ उमेश चंद्र शुक्ल जी की एक बेहतरीन गजल)
जी डी पी उछल रही हमें फक्र है खुदा,
तू खैरात बाँटना छोड़ दे तो जिंदगी मिले॥1॥
खेतों में सपने बोये फसल काटे जहर का,
रब को अगर तू बख्श दे तो ज़िंदगी मिले॥2॥
ऊपर औ नीचे बीच में मध्यम है पिस रहा,
नज़रें इनायत हो तो इधर ज़िंदगी मिले ॥3॥
जय जवान, जय किसान, विज्ञान की है जय,
तू धर्म बेचना छोड़ दे तो जिंदगी मिले ॥4॥
मजबूर नहीं था कभी, अब मजलूम हो गया,
मज़लूमों को अगर बख्श दे तो जिंदगी मिले ॥5॥
हमने खून-पसीने से सींचा है हिंदुस्तान ‘उमेश’
तू खून पीना छोड़ दे अगर तो जिंदगी मिले ॥6॥
© डॉ उमेश चन्द्र शुक्ल