डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
धूप-छांव…….
जीवन में दिन हैं तो, फिर रातें भी है
है मनमोहक फूल तो फिर कांटे भी है।
कुछ खोया तो, बदले में कुछ पाना है
कहीं रूठना है तो, कहीं मनाना है,
हुए मौन तो, मन में कुछ बातें भी है
जीवन में दिन————–
मिलन जुदाई का, आपस में नाता है
सम्बन्धों का मूल्य, समझ तब आता है
टूटे रिश्ते तो, नवीन नाते भी हैं
जीवन में दिन————-
है विश्वास अगर तो, शंकाएं भी है
मन में है यदि अवध तो,लंकायें भी है
प्रेम समन्वय भी, अन्तरघातें भी हैं
जीवन में दिन…………….
है पूनम प्रकाश तो, फिर मावस भी है
शुष्क मरुस्थल कहीं,कहीं पावस भी है
तृषित कभी तो, तृप्त कभी पाते भी हैं
जीवन में दिन………………
है पतझड़ आंगन में तो, बसन्त भी है
जन्में हैं तो, इस जीवन का अंत भी है
रुदन अगर दुख में, सुख में गाते भी हैं
जीवन में दिन————–
टूट टूट जो, जुड़ते और संवरते हैं
पीड़ाओं में गीत, मधुरतम गढ़ते हैं
व्यथित हृदय, दर्दों को सहलाते भी हैं
जीवन में दिन है तो फिर रातें भी है
है मनमोहक फूल तो फिर कांटे भी हैं।
© डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’