महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.४१॥ ☆

 

गच्चन्तीनां रमाणवसतिं योषितां तत्र नक्तं

रुद्धालोके नरपतिपथे सूचिभेद्यैस तमोभिः

सौदामन्या कनकनिकषस्निग्धया दर्शयोर्वीं

तोयोत्सर्गस्तनितमुहरो मा च भूर्विक्लवास्ताः॥१.४१॥

वहाँ घन तिमिर से दुरित राजपथ पर

रजनि में स्वप्रिय गृह मिलन गामिनी को

निकष स्वर्ण रेखा सदृश दामिनी से

दिखाना अभय पथ विकल कामिनी को

न हो घन ! प्रवर्षण , न हो घोर गर्जन

न हो सूर्य तर्जन , वहाँ मौन जाना

प्रणयकातरा स्वतः भयभीत जो हैं

सदय तुम उन्हें , अकथ भय से बचाना

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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