महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.५८॥ ☆
ये संरम्भोत्पतनरभसाः स्वाङ्गभङ्गाय तस्मिन
मुक्ताध्वानं सपदि शरभा लङ्घयेयुर भवन्तम
तान कुर्वीथास तुमुलकरकावृष्टिपातावकीर्णन
के वा न स्युः परिभवपदं निष्फलारम्भयत्नाः॥१.५८॥
आवेश में किन्तु भगते उछलते
शरभ स्वयंघाती करें आक्रमण जो
समझकर कि तुम मार्ग के बीच में आ ,
अचानक स्वयं वहाँ से हट गये हो
तो कर उपल वृष्टि गंभीर उन पर
उन्हें ताड़ना दे , हटा दूर देना
भला निरर्थक यत्नकारी जनों पर
कहां , कौन ऐसा कभी जो हँसे न ?
शब्दार्थ ..शरभ… एक जाति के वन्य जीव , हाथी का बच्चा
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈