महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.३॥ ☆

यत्रोन्मत्तभ्रमरमुखराः पादपा नित्यपुष्पा

हंसश्रेणीरचितरशना नित्यपद्मा नलिन्यः

केकोत्कण्ठा भुवनशिखिनो नित्यभास्वत्कलापा

नित्यज्योत्स्नाः प्रहिततमोवृत्तिरम्याः प्रदोषाः॥२.३॥

 

जहाँ के प्रफुल्लित कुसुम वृक्ष गुंजित

भ्रमर मत्त की नित्य गुंजन मधुर से

जहाँ हासिनी नित्य नलिनी सुशोभित

सुहंसावली रूप रसना मुखर से

जहाँ गृहशिखी सजीले पंखवाले

हो उद्ग्रीव नित सुनाते कंज केका

जहाँ चन्द्र के हास से रूप रजनी

सदा खींचती मंजु आनंदरेखा

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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