महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.६॥ ☆
मन्दाकिन्याः सलिलशिशिरैः सेव्यमाना मरुद्भिर
मन्दाराणाम अनुतटरुहां चायया वारितोष्णाः
अन्वेष्टव्यैः कनकसिकतामुष्टिनिक्षेपगूढैः
संक्रीडन्ते मणिभिरमरप्रार्थितया यत्र कन्याः॥२.६॥
मंदाकिनी नीर शीतल पवन संग
जिनके सदा रंगरेली मनाता
तट पर लगे पुष्प मंदार की छाँह
से अंग जिनका नहीं धूप पाता
उसी के निकट स्वर्ण कदली विपिन वृत्त
है केलि गिरि , इन्द्रमणि से रचित श्रंग
औत्सुक्य दुख से मिली याद आती
उसी की तुम्हें देख प्रिय, दामिनी संग
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈