महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.७॥ ☆
गत्युत्कम्पाद अलकपतितैर यत्र मन्दारपुष्पैः
पुत्रच्चेदैः कनककमलैः कर्णविस्रंशिभिश च
मुक्ताजालैः स्तनपरिसरच्चिन्नसूत्रैश च हारैर
नैशो मार्गः सवितुर उदये सूच्यते कामिनीनाम॥२.७॥
कुरबक घिरे माधवी कुंज के पास ,
उस शैल पर है बकुल वृक्ष प्यारा
निलट ही लगा है चपल पर्ण धारी
अशोक इक लाल सा रंग वाला
जो पुष्प फल प्राप्ति इच्छा संजोये
मेरी सहचरी तव सखी हाथ साथी
पहला सुमुखि से सुरा चाहता है
औ” है दूसरा , वामपादाभिलाषी
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈