महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.१४॥ ☆

 

तत्रागारं धनपतिगृहान उत्तरेणास्मदीयं

दूराल लक्ष्यं सुरपतिधनुश्चारुणा तोरणेन

यस्योपान्ते कृतकतनयः कान्तया वर्धितो मे

हस्तप्राप्यस्तवकनमितो बालमन्दारवृक्षः॥२.१४॥

 

या मलिन वसना धरे गोद वीणा

मेरे नाममय गीत को उच्च स्वर में

गाने मेरी याद में उमड़ आये

नयनवारि से सिक्त ले वीण कर में

बड़े कष्ट से तार उसके

फिर आलाप कर भूल भरती रुलाई

यों भाव भीनी दशा में तुम्हें मेघ

आलोक में वह पड़ेगी दिखाई .

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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अमरेन्द्र नारायण

सादर नमन,आदरणीय बाबू जी