महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.१६॥ ☆
तस्यास तीरे रचितशिखरः पेशलैर इन्द्रनीलैः
क्रीडाशैलः कनककदलीवेष्टनप्रेक्षणीयः
मद्गेहिन्याः प्रिय इति सखे चेतसा कातरेण
प्रेक्ष्योपान्तस्फुरिततडितं त्वां तम एव स्मरामि॥२.१६॥
दिन में विरह की व्यथा व्यस्तता से
है संभव न होगी , निशा में यथा हो
मैं अनुमानता हूं , गहन शोक मन का
जो निशि में सताता मेरी प्रियतमा को
तो साध्वी तव सखी को रजनि में
पड़ी भूमि पर देख , उन्निद्र साथी
उचित है कि संदेश मेरा सुनाकर
दो सुख , बैठ गृह गवाक्ष पर प्रवासी
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈