महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.१७॥ ☆
रक्ताशोकश चलकिसलयः केसरश चात्र कान्तः
प्रत्यासन्नौ कुरुवकवृतेर माधवीमण्डपस्य
एकः सख्यास तव सह मया वामपादाभिलाषी
काङ्क्षत्य अन्यो वदनमदिरां दोहदच्चद्मनास्याः॥२.१७॥
व्यथा से कृषांगी , विरह के शयन में
पड़ी एक करवट दिखेगी मलीना
क्षितिज पपूर्व के अंक में हो पड़ी ज्यों
अमावस रजनि चंद्र की कोर क्षीणा
वही रात जो साथ मेरे यथेच्छा
प्रणय केलि में एक क्षण सम बिताती
होगी विरह में महारात्री के सम
बिताती उसे उष्ण आंसू बहाती
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈