महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.२१॥ ☆
तन्वी श्यामा शिखरीदशना पक्वबिम्बाधरौष्ठी
मध्ये क्षामा चकितहरिणीप्रेक्षणा निम्ननाभिः
श्रोणीभाराद अलसगमना स्तोकनम्रा स्तनाभ्यां
या तत्र स्याद युवतीविषये सृष्टिर आद्यैव धातुः॥२.२१॥
छरहरी, भरे देह की, पूर्ण यौवन
रदनपंक्ति जिसकी गँसी कुंद कलि सी
पके बिंब फल से, अधर सुगढ़ जिसके
चकित वनमृगी सी, सरल दृष्टि जिसकी
गहन नाभि, कटि क्षीण, औ” पीन स्तन
नितंबिनि, विनम्रा, अलसगामिनी जो
दिखे युवतियों बीच ऐसी कोई ज्यों
विधाता की मानो प्रथम नारि कृति हो
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈