महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.३१॥ ☆
आद्ये बद्धा विरहदिवसे या शिखा दाम हित्वा
शापस्यान्ते विगलितशुचा तां मयोद्वेष्टनीयाम
स्पर्शक्लिष्टाम अयमितनखेनासकृत्सारयन्तीं
गण्डाभोगात कठिनविषमाम एकवेणीं करेण॥२.३१॥
विरह के दिवस बंधी निर्माल्य वेणी
मिलन दिन विगत शोक मुझसे खुले जो
हटाते बढे नख भरे हाथ से क्लिष्ट
उलझी अलक गाल से प्रियतमा को
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈