॥ श्री रघुवंशम् ॥

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग # 1 (1-5) ॥ ☆

 

जग के माता – पिता जो, पार्वती – शिव नाम

शब्द – अर्थ सम एक जो, उनको विनत प्रणाम ॥ 1 ॥

 

कहाँ सूर्य कुल का विभव, कहाँ अल्प मम ज्ञान

छोटी सी नौका लिये सागर – तरण समान ॥ 2 ॥

 

मूढ़ कहा जाये न कवि, हो न कहीं उपहास

बौना जैसे भुज उठा धरे दूर फल आस ॥ 3 ॥

 

किन्तु पूर्व कवि से मिले बेधित मणि सायास

एक सूत्र में गूंथने का है नम्र प्रयास ॥ 4 ॥

 

जन्मजात संस्कार युत, सुफल हेतु कर्मेश

सागर तक फैली धरा के शासक सूर्येश ॥ 5॥

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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जेन्नी शबनम

बहुत सुन्दर