सौ. सुजाता काळे
(प्रस्तुत है सौ. सुजाता काळे जी की एक प्रेरक कविता । )
तू चल, चल लक्ष्य की ओर…..!!
तू कर प्रयास और पा सफलता
न मिले सफलता तो तू कर प्रयास
अर्जुन बन कर तू भेद चक्षु को
मत्स्य की ओर समर्पण कर जा
तू चल, चल लक्ष्य की ओर…..!!
तू भेद बाणों की वर्षा से
और खींच प्रंत्यचा साहस से
एकलव्य बन तू भेद आकाश
जब तक लगे ना घाव वहाँ
कोई मिले ना गुरू यहाँ
तू चल, चल लक्ष्य की ओर…..!!
© सौ. सुजाता काळे
पंचगनी, महाराष्ट्रा।
9975577684