॥ श्री रघुवंशम् ॥

॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #9 (1-5) ॥ ☆

रघुवंश सर्ग – 9

 

संयम नियम पालक आत्मजित में, महारानी दशरथ अग्रगामी

पिता से पा उत्तर कोशल राज्य, शासक हुआ उसका योग्य स्वामी ॥ 1॥

 

संप्राप्त उस राज्य को कुलाचिंत रीति से नगर के साथ ऐसा सँभाला

कि क्रोंच पर्वत विर्दीण कर्ता कुमार सा हुआ वह कीर्तिवाला ॥ 2॥

 

बल दैत्य नाशक सुरेन्द्र मनुवंश के दण्ड धारी दशरथ नृपति को

विद्वान कहते समान धर्मा जल अर्थ से सींचते हैं जो श्रम को ॥ 3॥

 

परम पराक्रमी पर श्शांत अजपुत्र के राज्य में रोग कोई घुस न पाये

फिर शत्रुओं की तो क्या भला बात धरती ने धन धान्य सभी डगाये ॥ 4॥

 

दिग्विजयी रघु से धरा का वैभव बढ़ा  और अज से हुई धान्य पूर्णा

तथैव दशरथ पराक्रमी से न हुई हो समृद्ध, ऐसा हुआ ना ॥ 5॥

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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