पितृ दिवस पर विशेष 

डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’

 

(डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’ जी की  *”पितृदिवस”* पर पिताजी का अपनी कविता द्वारा पुण्य स्मरण।)

 

?? पापा ??

 

खुशियों के हर क्षण में पापा,
याद तुम्हारी आती है।

मेरे नन्हें हाथ थामकर,
तुमने चलना सिखलाया
जीवन पथ पर आगे बढ़ने,
सदा नेक पथ दिखलाया
बचपन में दी सीख आज तक,
भूले नहीं भुलाती है
खुशियों के हर क्षण में पापा,
याद तुम्हारी आती है

रोज सबेरे दफ्तर जाकर,
शाम ढले वापस आते
धूम मचाते पूरे घर में,
नया कभी जब कुछ लाते
इन बातों की स्वप्न श्रृंखला,
बचपन में लौटाती है
खुशियों के हर क्षण में पापा,
याद तुम्हारी आती है

 

मुझे पढ़ाने की इच्छा को,
तुमने लक्ष्य बनाया था
घर बाहर सुविधाएँ देकर,
अध्ययन पूर्ण कराया था
बात सदा आगे बढ़ने की,
नित उत्साह जगाती है
खुशियों के हर क्षण में पापा,
याद तुम्हारी आती है

जब भी मुझको मिली सफलता,
शाबाशी उपहार मिली
कभी निराशा हाथ लगी तो,
संबल की पतवार मिली
सहनशीलता अपनाने की,
बात तुम्हारी भाती है
खुशियों के हर क्षण में पापा,
याद तुम्हारी आती है

शादी बच्चे घर होने पर,
हृदय आपका हर्षाया
मेरी उलझन को सुलझाने,
सदा तुम्हें तत्पर पाया
तुमसे जानी साख, निडरता,
साहस मेरा बढ़ाती है
खुशियों के हर क्षण में पापा,
याद तुम्हारी आती है

हुआ अगर मैं निकट तुम्हारे,
जब तब गले लगा लेते
हाथों के स्पर्श तुम्हारे,
तन मन नेह जगा देते
सब हैं फिर भी ‘कमी तुम्हारी’,
मन उदास कर जाती है
खुशियों के हर क्षण में पापा,
याद तुम्हारी आती है

 

© डॉ विजय तिवारी  “किसलय”जबलपुर

 

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

2 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Vijay Tiwari Kislay

सभी के पिता जी सबके अरमान होते हैं।
उनका नमन
एवं स्मरण
सबका पुनीत कर्त्तव्य है।
इस पत्रिका के माध्यम से कही गई मेरी बात लोगों को जरूर पसंद आएगी, इसी उम्मीद के साथ।
आपका बहुत बहुत आभार।

सुरेश कुशवाहा तन्मय

पिता का पुण्य स्मरण कराती सुंदर, भावपूर्ण गीत कविता
बधाई आदरेय श्री किसलय जी