॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #11 (81-85) ॥ ☆
टिका भूमि पर धनुष को चढ़ा प्रत्यंचा राम।
परशुराम के तेज की दिखा दिया कर शाम।।81।।
देखा सबने पूर्णिमा चन्द्रोदय सम श्रीराम।
और डूबते सूर्य से गतछवि परशूराम।।82।।
परशुराम को अस्तछवि औ’ अमोध उस बाण।
को निहार कार्तिकेय सम विनयी बोले राम।।83।।
हुये पराजित किन्तु हैं ब्राह्मण चूंकि आप।
कर प्रहार निर्दयी सा मैं न करूँगा पाप।।84अ।।
इससे अपने बाण से कर दूँ गति तव नाश।
या बोलें कि यज्ञ से अर्जित स्वर्ग-विनाश।।84ब।।
परशुराम बोले-मुझे अवतारी तुम ज्ञात।
लखूँ वैष्णवी तेज तव कुमति किया सो नाथ।।85।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈