॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (66-70) ॥ ☆
सर्गः-12
जान कुशलता प्रिया की झट मिलने की आश।
जाने सागर पार का, सोचा, सफल प्रयास।।66।।
वानर सेना थी प्रबल, भूमि और आकाश।
में जा सब संकट हरण का था अति विश्वास।।67।।
सागर तट पर राम जब थे सेना के साथ।
सद्प्रेरित तब विभीषण आये शरण रघुनाथ।।68।।
दिया बिभीषण को अभय, वैभव का प्रतिदान।
उचित समय शुभ नीतियाँ करती सुफल प्रदान।।69।।
शेषनाग सम विष्णु के सोने हित अनुकूल।
रचा वानरों ने अगम सागर पर एक पुल।।70।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈