॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (71-75) ॥ ☆
सर्गः-12
सेन सहित श्रीराम तब जाकर सागर पार।
घेरा लंका का बना सोने का प्राकार।।71।।
हुआ युद्ध भीषण वहाँ वानर-राक्षस बीच।
फैला जय-जय घोष औ’ मची रक्त की कीच।।72।।
वृक्षों से परिधा कटी प्रस्तर से धन चूर।
नख से शस्त्र विनष्ट हुये पर्वत से गज दूर।।73।।
देख राम का कटा सिर, सीता हुई बेहोश।
त्रिजटा ने माया बता दिया उन्हें संतोष।।74।।
कहा सिया ने- खुशी है जीवित है श्रीराम।
पर पहले मृत जान भी मरी न मैं विधि वाम।।75।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈