॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (81-85) ॥ ☆
सर्गः-12
सोने का आदी था जो सोता था दिनरात।
उसे सुलाया राम ने अवश मृत्यु के साथ।।81।।
कोटि राक्षस जा गिरे वानर सेना बीच।
जैसे रण की धूल गिर बने रक्त मिल कीच।।82।।
तब रावण संकल्प ले विजय या कि फिर मृत्यु।
निकला करने राम से घर से अन्तिम युद्ध।।83।।
देख राम को विरथ औ रावण रथ-आरूढ़।
इन्द्र ने भेजा राम हित श्वेत अश्वरथः गूढ।।84।।
मातलि जिसका सारथी उस रथ बैठे राम।
नभ-गंगा की वायु से उड़ती ध्वजा ललाम।।85।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈