॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #12 (96-100) ॥ ☆
सर्गः-12
उसे राम ने अर्द्धचंद्र शर से डाला काट।
शत्रु विजय की आश सब हो गई बाराबाट।।96।।
सीता के दुख काट कर फिर देने नव प्राण।
किया राम ने धनुष पर ब्रह्मअस्त्र संधान।।97।।
कई फन का आकाश में दीप्तिमान विकराल।
शेषनाग की देह सा था वह अस्त्र कराल।।98।।
काटी उस ब्रह्मास्त्र ने शीश पंक्ति तत्काल।
था अमोघ अभिमंत्रित वह रावण का काल।।99।।
कई लहरों में तरंगित अरूण सा ज्यों नदतीर।
रक्त सिक्त ज्यों कण्ठ बिन था वह कटा शीर।।100।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈